निम्नलिखित संस्कृत-गद्यांस का संदर्भ सहित हीन्दी में अनुवाद कीजिए—
(ततः दृष्टिगोचरौ भवतः-कौपीनमात्रावशेषः, फलकेन दृढं बद्धः चन्द्रशेखरः कशाहस्तेन चाण्डालेन, अनुगम्यमानः कारालासाधिकारी गण्डासिंहश्च ।)
गण्डासिंहः–(चाण्डालं प्रति) दुर्मुख ! मम आदेशसमकालमेव कशाघातः कर्त्तव्यः । (चन्द्रशेखरं प्रति) रे दुर्विनीत युवक ! लभस्व इदानीं स्वाविनयस्य फलम् । कुरु राजद्रोहम् । दुर्मुख ! कशाघातः एकः श(दुर्मुखः चन्द्रशेखरं कशया ताडयति ।)
चन्द्रशेखरः–जयतु भारतम् ।
गण्डासिंहः–दुर्मुख ! द्वितीयः कशाघातः । (दुर्मुखः पुनः ताडयति) ।
ताडितः चन्द्रशेखरः पुनः-पुनः "भारतं जयतु" इति वदति ।
(एवं स पञ्चदशकशाघातैः ताडितः ।)
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उपर्युक्त संस्कृत गद्यांश का सन्दर्भ सहित हिंदी में अनुवाद निम्नलिखित है -
Explanation:
सन्दर्भ - प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक हिन्दी के संस्कृत-खण्ड में संकलित 'देशभक्त्तः चन्द्रशेखरः ' पाठ से लिया गया है।
हिंदी में अनुवाद : (इसके पश्चात् लँगोटीमात्र पहने हुए, हथकड़ी से मज़बूत बंधा हुआ चंद्रशेखर और हाथ में कोड़ा लिए चाण्डाल से अनुगमित जेल अधिकारी गण्डासिंह दिखाई देते हैं।)
गण्डासिंह- (जल्लाद से) दुर्मुख ! मेरे आदेश कोड़े लगाना। (चंद्रशेखर से) अरे अविनयी युवक ! अब तू अपनी अविनय का फल प्राप्त कर। राजद्रोह कर ! दुर्मुख ! एक कोड़े का प्रहार करो। (दुर्मुख चंद्रशेखर को कोड़े से पीटता है।)
चंद्रशेखर- भारतमाता की जय हो।
गण्डासिंह- दुर्मुख ! कोड़े का दूसरा प्रहार (करो)। (दुर्मुख पुनः कोड़ा मारता है।) पीटा गया चंद्रशेखर बार -बार ' भारतमाता की जय हो ' कहता है। (इस प्रकार वह पंद्रह कोड़ों से पीटा जाता है।)
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