Hindi, asked by Blizzard6823, 9 months ago

निम्नलिखित संस्कृत-पद्यांश/श्लोक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए—
किं नु हित्वा प्रियो भवति किन्नु हित्वा न शोचति ।
किं नु हित्वार्थवान् भवति किन्नु हित्वा सुखी भवेत् ।।
मानं हित्वा प्रियो भवति क्रोधं हित्वा न शोचति ।
कामं हित्वार्थवान् भवति लोभं हित्वा सुखी भवेत् ।।

Answers

Answered by bhatiamona
7

प्रसंग: इन श्लोकों में विभिन्न त्यागों  के महत्व को दर्शाया गया है|

अनुवाद: यक्ष कहता है, मनुष्य क्या छोड़कर प्रिय हो जाता है| मनुष्य क्या छोड़कर शोक नहीं करता है| मनुष्य क्या धनवान हो जाता है| मनुष्य क्या छोड़कर सुखी होता है|

युधिष्ठिर कहता है : मनुष्य अहंकार को छोड़कर प्रिय होता है| मनुष्य क्रोध को छोड़ कर शोक नहीं करता है| मनुष्य इच्छा कामना को छोड़कर धनवान हो जाता है| मनुष्य लोभ को छोड़कर सुखी हो जाता है|  जब मनुष्य ये सब त्याग देता वह सुखी और प्रेम से जीवन व्यतीत करता है|

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निम्नलिखित संस्कृत-पद्यांश/श्लोक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए—

यथा सोम्यैकेन नखनिकृन्तनेन सर्वैं कार्ष्णायसं विज्ञातं स्याद्वाचारम्भणं

विकारो नामधेयं कृष्णायसमित्येव सत्यमेव सोम्य स आदेशो भवतीति ।।

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