Hindi, asked by rohan6907, 10 months ago

निम्नलिखित विचार-विस्तार को स्पष्ट कीजिए :
आवत ही हरषे नहीं, नैनन नहीं सनेह।
तुलसी वहाँ न जाइए, कंचन बरसै मेह।।​

Answers

Answered by rinkusanjay1871
28

Explanation:

आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह।तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह।।तुलसी दास जी कहते हैं कि जिस स्थान पर लोग आपके जाने से प्रसन्न न होवें और जहाँ लोगो कि आँखों में आपके लिए प्रेम अथवा स्नेह ना हो ऐसे स्थान पर भले ही धन की कितनी भी वर्षा ही क्यूँ ना हो रही हो आपको वहां नहीं जाना चाहिए ।

Answered by ayaan4067
8

Answer:

Hello friend ...

here is your answer...

Explanation:

प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास जी कह रहे हैं कि जिस स्थान या घर में आपके जाने से लोग खुश नहीं होते और उन लोगों के आंखों में आपके लिए ना प्रेम है और ना स्नेह वहां में कभी नहीं जाना चाहिए चाहे वहां धन की वर्षा क्यों नहीं हो रही हो।।

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