निम्नलिखित वाक्यों के वाच्य निर्देशानुसार बदलिए
1- तुमसे यह वजन नहीं उठाया जायेगा | [ कर्तृवाच्य ]
2-पानवाले ने साफ बता दिया था | [ कर्मवाच्य ]
3-शेर अब नहीं शिकार करता | [ भाववाच्य]
4-सानिया टेनिस खेलती है | [ कर्मवाच्य]
5-वे रो न सके | [भाववाच्य ]
6-जिड़िया से उड़ा नहीं जाता | [ कर्तृवाच्य]
7 =मैने ही यह पुस्तक लिखी है | [ कर्मवाच्य ]
8 =पक्षी घोसलों में रहते हैं | [ भाववाच्य ]
9 =तुम्हारे द्वारा फूल तोड़ा जाएगा | [ कर्तृवाच्य ]
1० =डाकुओं ने चौकी लूट ली | [ कर्मवाच्य ]
Answers
Answer:
वाच्य- वाच्य का अर्थ है ‘बोलने का विषय।’
क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके द्वारा किए गए विधान का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।
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दूसरे शब्दों में क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके प्रयोग का आधार कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। वाच्य के भेद-हिंदी में वाच्य के तीन भेद माने जाते हैं –
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1. कर्तवाच्य- जिस वाक्य में कर्ता की प्रमुखता होती है अर्थात क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन, कारक के अनुसार होता है और इसका सीधा संबंध कर्ता से होता है तब कर्तृवाच्य होता है।
CBSE Class 10 Hindi A व्याकरण वाच्य - 2
कर्तृवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य।
कर्तृवाच्य में अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रिया का प्रयोग किया जाता है; जैसे –
CBSE Class 10 Hindi A व्याकरण वाच्य - 3
कर्ता के अपनी सामर्थ्य या क्षमता दर्शाने के लिए सकारात्मक वाक्यों में क्रिया के साथ सक के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है; जैसे –
मैं फ्रेंच पढ़-लिख सकता हूँ।
यह कलाकार फ़िल्मी गीतों के अलावा लोकगीत भी गा सकता है।
ऐसा सुंदर स्वेटर सुमन ही बन सकती है।
यही मज़दूर इस भारी पत्थर को हटा सकता है।
कर्तृवाच्य के वाक्यों को कर्मवाच्य और भाववाच्य में बदला जा सकता है। कर्तृवाच्य में कर्ता की असमर्थता दर्शाने के लिए क्रिया एवं नहीं के साथ सक के विभिन्न रूपों का भी प्रयोग किया जा सकता है; जैसे –
मैं चीनी भाषा नहीं लिख सकता हूँ।
यह मोटा आदमी तेज़ नहीं दौड़ सकता है।
बच्चे आज खेलने बाहर नहीं जा सकते हैं।
मोहन यह सवाल हल नहीं कर सकता है।
2. कर्मवाच्य-जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है तथा क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है और कर्ता की स्थिति में स्वयं कर्म होता है, वहाँ कर्मवाच्य होता है।
जैसे –
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उपर्युक्त वाक्यों में क्रिया का प्रयोग कर्ता के अनुसार न होकर इनके कर्म के अनुसार हुआ है, अतः ये कर्मवाच्य हैं।
अन्य उदाहरण –
मोहन के द्वारा लेख लिखा जाता है।
हलवाई द्वारा मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
चित्रकार द्वारा चित्र बनाया जाता है।
रूपाली द्वारा कढ़ाई की जाती है।
कर्मवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
कर्मवाच्य में कर्म उपस्थित रहता है और क्रिया सकर्मक होती है।
कर्मवाच्य के वाक्यों में प्रायः क्रिया ‘जा’ का रूप लगाया जाता है; जैसे –
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इस वाच्य में कर्ता के बाद से या के द्वारा का प्रयोग किया जाता है; जैसे –
तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस की रचना की गई। (कर्ता + द्वारा)
नौकर से गिलास टूट गया। (कर्ता + से)
कभी-कभी कर्ता का लोप रहता है; जैसे –
पेड़ लगा दिए गए हैं। पत्र भेज दिया गया है।
कर्मवाच्य में असमर्थता सूचक वाक्यों में ‘के द्वारा’ के स्थान पर ‘से’ का प्रयोग किया जाता है। ऐसा केवल नकारात्मक वाक्यों में किया जाता है; जैसे –
मुझसे अंग्रेज़ी नहीं बोली जाती। मज़दूर से यह भारी पत्थर नहीं उठाया गया।
कर्मवाच्य का प्रयोग निम्नलिखित स्थानों पर भी किया जाता है –