Hindi, asked by BBRae, 10 months ago

निम्नलिखित विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए-
चुनाव का दिन
संकेत-बिंदु
- बस्ती में हलचल, मतदान केन्द्र का दृश्य, विशेष अनुभव ।​

Answers

Answered by varun2007
10

Answer:

किसी भी देश में चुनाव के दौरान होने वाली राजनीति उस देश के लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा होती है। राजनीति के सुचारु और स्वच्छ कार्यन्वन के लिए यह काफी आवश्यक है कि हम चुनावों में साफ-सुधरी छवि वाले लोगों को अपना नेता चुने क्योंकि चुनाव के दौरान व्यक्तिगत स्वार्थ या फिर जातिवाद के नाम पर दिया गया वोट आने वाले भविष्य में हमारे लिए कई गुना हानिकारक हो सकता है।

चुनाव और राजनीति

किसी भी देश की राजनीति उस देश के संवैधानिक ढांचे पर कार्य करती है जैसे कि भारत में संघीय संसदीय, लोकतांत्रिक गणतंत्र प्रणाली लागू है। जिसमें राष्ट्रपति देश का प्रमुख होता है और प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है। इसके अलावा भारत में विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री जैसे विभिन्न पदों के लिए भी चुनाव होते रहते है। लोकतंत्र में इस बात की आवश्यकता नही होती है कि लोग सीधे तौर से शासन करें, इसलिए एक निश्चित अंतराल पर जनता द्वारा अपने राजनेताओं तथा जनप्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है।

एक लोकतांत्रिक देश के अच्छे विकास तथा कार्यन्वन के लिए चुनाव और राजनीति का होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि इसके द्वारा उत्पन्न होने वाली चुनावी प्रतिद्वंदिता जनता के लिए काफी लाभदायक होती है। हालांकि चुनावी प्रतिद्वंदिता के फायदे के साथ नुकसान भी है। इसके कारण लोगों में आपसी मतभेद भी पैदा हो जाता है। वर्तमान राजनीति आरोप-प्रत्यारोप का दौर है, इसमें सभी राजनेताओं द्वारा एक-दूसरे पर विभिन्न प्रकार के आरोप लगाये जाते है। जिसके कारण कई सीधे और साफ छवि के लोग राजनीति में आने में संकोच करते है।

चुनावी प्रणाली

किसी भी लोकतंत्र की राजनीति में इस बात का सबसे अधिक महत्व होत है कि आखिरकार उसकी चुनावी प्रणाली क्या है। भारत में लोकसभा तथा विधानसभा जैसे चुनाव हर पांच वर्ष के अंतराल पर होते हैं। पांच साल बाद चुने हुए सभी प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। जिसके बाद लोकसभा और विधानसभा भंग हो जाती है और फिर से चुनाव करवाये जाते हैं।

कई बार कई सारे प्रदशों के विधानसभा चुनाव एक साथ होते है। जिन्हें विभिन्न चरणों में समपन्न कराया जाता है। इसके विपरीत लोकसभा चुनाव देशभर में एक साथ संपन्न होते है, यह चुनाव भी कई चरणों में संपन्न होते है, आधुनिक समय में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का उपयोग होने के कारण चुनाव परिणाम चुनाव संमपन्न होने के कुछ दिन बाद ही जारी कर दिये जाते है।

भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को उसके पसंद के प्रतिनिधि को मतदान करने का अधिकार देता है। इसके साथ ही भारत के संविधान में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि देश के राजनीति में हर वर्ग को समान अवसर मिले, यहीं कारण है कि कमजोर तथा दलित समुदाय के व्यक्तियों के लिए कई क्षेत्रों के निर्वाचन सीट आरक्षित रहते हैं, जिन पर सिर्फ इन्हीं समुदाय के लोग चुनाव लड़ सकते हैं।

भारतीय चुनावों में वही व्यक्ति मतदान कर सकता है, जिसकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक है। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति चुनाव लड़ना चाहता है, तो उसे अपना नामांकन कराना होता है, जिसके लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष है। भारत में कोई भी व्यक्ति दो तरीकों से चुनाव लड़ सकता है, किसी दल का उम्मीदवार बनकर उसके चुनाव चिन्ह पर जिसे सामान्य भाषा में ‘टिकट’ के नाम से भी जाना जाता है और दूसरा तरीका है निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दोनो ही तरीकों में उम्मीदवारों द्वारा नामांकन पत्र भरना और जमानत राशि जमा करना अनिवार्य होता है।

इसके साथ ही वर्तमान समय में चुनावी प्रक्रियाओं में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन किये जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक ईमानदार तथा स्वच्छ छवि के लोगों को राजनीति में आने का मौका मिल सके। इसी के तरह सर्वोच्च न्यायलय ने आदेश देते हुए सभी उम्मीदवारों के लिए घोषणा पत्र भरना अनिवार्य कर दिया है। जिसमें उम्मीदवारों को अपने खिलाफ चल रहे गंभीर आपराधिक मामलो, परिवार के सदस्यों की संपत्ति तथा कर्ज का ब्यौरा तथा अपनी शैक्षिक योग्यता की जानकारी देनी होती है।

निष्कर्ष

किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव और राजनीति एक-दूसरे के पूरक का कार्य करते है और लोकतंत्र के सुचारु कार्यन्वन के लिए यह आवश्यक भी है। लेकिन इसके साथ ही हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए चुनावों के दौरान उत्पन्न होने वाली प्रतिद्वंदिता लोगो के बीच विवाद तथा दुश्मनी का कारण ना बनें और इसके साथ ही हमें चुनावी प्रक्रिया को और भी पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है ताकि अधिक से अधिक साफ-सुथरे तथा ईमानदरी छवि के लोग राजनीति का हिस्सा बन सके।

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