निमाड़ी लोक कथा पर प्रकाश डालिए
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निमाड़ का जनजीवन कला और संस्कृति से सम्पन्न रहा है, जहाँ जीवन का एक दिन भी ऐसा नहीं जाता, जब गीत न गाये जाते हों, या व्रत-उपवास कथावार्ता न कही-सुनी जाती हो। निमाड़ की पौराणिक संस्कृति के केन्द्र में ओंकारेश्वर, मांधाता और महिष्मती है।
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निमाड़ी लोक कथा.
स्पष्टीकरण:
- राजा हरिश्चंद्र, सूर्याजो महाजन, गोंडेनार और भिल्लों बाल-कथा निमाड़ी बोली का चरित्र चित्रण काठी गीतों की आत्मा है.
- ये दल गांव-घर जाकर 'निमाड़ी बोली' में मां शक्ति पार्वती की पूजा अर्चना का गुणगान करने के लिए गीत गाते हैं.
- लक्ष्मीनारायण मौर्य ने देश के विभिन्न कला मंचों पर लोक नृत्य की कई प्रस्तुतियां दी हैं.
- संजय महाजन को कई प्रतिष्ठित सम्मानों और पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.
- संजय महाजन ने देश के विभिन्न कला मंचों पर निमाड़ी लोकनृत्यों की अनेक मनमोहक प्रस्तुतियां दी हैं.
- कलगी-तुर्रा का पारंपरिक कला रूप निमाड़ का सांस्कृतिक रंग अभी भी बरकरार है.
- निमाड़ की कला और ग्रामीण वातावरण में बसी यह पारंपरिक कला रूप अभी भी एक विशेषज्ञ डोमेन है.
- इस कला में दो गाना बजानेवालों की संख्या है - एक को कलगी कहा जाता है और दूसरे को तुर्रा दाल कहा जाता है.
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