Hindi, asked by riyajaiswal1238, 9 months ago

(ङ) 'नागरी' कहकर कवि...
को संबोधित करना चाहता है।​

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Answered by shishir303
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'नागरी' कहकर कवि ...सुंदर स्त्री...  को संबोधित करना चाहता है।​

नागरी कहकर कवि सुंदर स्त्री को संबोधित करना चाहता है। जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित कविता ‘बीती विभावरी जाग री’ की इन पंक्तियों में....

बीती विभावरी जाग री

अंबर पनघट में डुबो रही

तारा घट उषा नागरी

अर्थात सुबह हो रही है, आकाश में तारे डूब रहे हैं। पौ फट चुकी है, सुबह हो चुकी है और स्त्रियां घड़े को लिए पानी भरने को निकल पड़ी है। पनघट पर एक सुंदर स्त्री पानी में घड़े को डुबो रही है।

कवि ने यहाँ पर मानवीकरण अलंकार का प्रयोग करके प्रातःकाल काल के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है।

मानवीकरण अलंकार में प्राकृतिक दृश्यों पर मानव का आरोपण किया जाता है, अर्थात प्रकृति के तत्वों को मानव मान कर उनका वर्णन किया जाता है।

यहाँ पर कवि ने आकाश को पनघट, तारों को घड़ा तथा प्रातःकाल की ऊषा को सुंदर स्त्री का आरोपण का किया है।

जब रात की कालिमा बीत जाती है और प्रातःकालीन उषा का आगमन होता है, तब तारे आकाश में डूबने लगते हैं।कवि ने प्राकृतिक सौंदर्य के इस दृश्य की पनघट पर सुंदर स्त्री द्वारा घड़े डुबोने से तुलना की है।

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