Hindi, asked by yadavsm230, 1 year ago

४) निन्दा की महिमा का वर्णन कीजिए।​

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Answered by BrainlyBieber
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निन्दक लोग जहाँ कहीं इकट्ठे हो जाते हैं, वहाँ वे दूसरों की निन्दा में इतने तन्मय हो जाते हैं कि उन्हें अन्यों की चिन्ता ही नहीं होती। जितनी एकाग्रता और तन्मयता कोई भक्त भी भगवान के ध्यान में नहीं लगाता हो, उतनी ये निन्दा करने में लगा देते हैं। निन्दकों की-सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है।

\color{red}{Thanks}

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