निनलिखित में से किसी एक गद्याश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
झूह काजीक दोनों बैलों के नाम थे- हीरा और मोती। दोनों पछाई के थे देखने में सुंब
बोन डोल में बहुत दिनों साथ रहते-रहते दोनों में भाई-चारा हो गया था। दोनों
सानन बेटहुक दूसरे से मूल भाश में विचार-विनिमय करते थे। एक-दसरे की बात कर
जान नहीं कह सकते। आवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुण शक्ति थी, जिससे जीवों में
का दावा करने वाला मनुष्य बंचित है। दोनों एक-दूसरे को चाटकर-सूंधकर अपना प्रेम प्रक
कमी-कमी बनातीग भी मिला लेते विग्रह के नाते से नहीं केवल विनोद के भाव से, आल
नाव जैसे दोस्ती में घनिष्ठता होने ही धौल-चप्पा होने लगना है। इसके बिना दोस्ती कु
मुस्कुनी कुछ हल्की-सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता।
परिवान चीनी किल से जब हम चलने लगे, तो एक आदमी राहदारी मांगने आया हमनेर
चिट दे दी। शायद उसी दिन हम थोइला के पहले के आखिरी गाँव में पहुंच गए।
कुति के जान पहचान के आदमी थे और भिख मंगे रीते भी ठहरने अच्छी जगह मिली।
बाद इसी बात लौटये और भिखमगे नहीं एक भद्र यात्री के वेश में घोडा पर सवार
आर किनु उस वक्त किसी ने हमें रहने के लिए जगह नहीं दी, और हम गाँव के एक
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