(ङ) नतृत्व' शब्द का
ब्द का वण-विच्छ
हमारे देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। इस व्यवस्था में न कोई छोटा होता है न बड़ा; न कोई अमीर ,न
कोई गरीब। देश का संविधान सबके लिए समान है। नागरिक अधिकारों पर सबका समान हक है। लोकतंत्र
पारिवारिक-सामाजिक सभी स्तरों पर स्त्री-पुरुष को एक नज़र से देखता है। अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने,
अपनी बात बेझिझक कहने का सबको समान अधिकार है।
आज़ादी मिलने के बाद हम लोकतांत्रिक पद्धति के आधार पर सभी क्षेत्रों में आगे बढ़े हैं। नारी जागृति आई
है, शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति- सभी क्षेत्रों में विकास हुआ है। ऐसी स्थिति में भी जब हम निराशाजनक बातें करते हैं
कि तंत्र ठप्प हो गया है, यह पद्धति असफल हो गई है- तो यह ठीक नहीं। वास्तव में दोष तंत्र का नहीं- दोष हमारे
नज़रिये का है। हमारी अपेक्षाएँ इतनी बढ़ गई हैं, जिन्हें संतुष्ट करने के लिए एक क्या अनेक तंत्र असफल हो जाएँगे।
हमारा देश विशाल आबादीवाला देश है। इसे चलानेवाला तंत्र भी उतना ही विशाल और समर्थ चाहिए और जैसा कि
नाम से स्पष्ट है, लोकतंत्र में हम ही तंत्र हैं। जब हर नागरिक इतना शिक्षित हो जाए कि अपने देश, समाज, परिवार,
घर, व्यक्ति सबके प्रति निष्ठा से अपना दायित्व निभाता रहे, तब लोकतंत्र की सफलता सामने आएगी। ज़रूरी है कि
हमारी सोच सकारात्मक हो। हम सोचें कि इतनी उदारता, इतनी ग्रहणशीलता और किसी तंत्र में नहीं है जितनी लोकतंत्र
में है, मानवता का इतना संतुलित सर्वांगीण विकास किसी और तंत्र में हो भी नहीं सकता।
प्रश्न
(क) हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की क्या विशेषताएँ हैं?
(ख) आज़ादी मिलने के बाद किन क्षेत्रों में विकास हुआ है तथा ऐसी स्थिति में कैसी बातें नहीं करनी चाहिए? 2
(ग) लोकतंत्र की सफलता कब सामने आएगी?
(घ) लोकतंत्र के संदर्भ में सकारात्मक सोच का आशय क्या है?
(ङ) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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हमारे देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। इस व्यवस्था में न कोई छोटा होता है न बड़ा; न कोई अमीर ,न
कोई गरीब। देश का संविधान सबके लिए समान है। नागरिक अधिकारों पर सबका समान हक है। लोकतंत्र
कोई गरीब। देश का संविधान सबके लिए समान है। नागरिक अधिकारों पर सबका समान हक है। लोकतंत्रपारिवारिक-सामाजिक सभी स्तरों पर स्त्री-पुरुष को एक नज़र से देखता है। अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने,
अपनी बात बेझिझक कहने का सबको समान अधिकार है।
आज़ादी मिलने के बाद हम लोकतांत्रिक पद्धति के आधार पर सभी क्षेत्रों में आगे बढ़े हैं। नारी जागृति आई
है, शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति- सभी क्षेत्रों में विकास हुआ है। ऐसी स्थिति में भी जब हम निराशाजनक बातें करते हैं
कि तंत्र ठप्प हो गया है, यह पद्धति असफल हो गई है- तो यह ठीक नहीं। वास्तव में दोष तंत्र का नहीं- दोष हमारे
नज़रिये का है। हमारी अपेक्षाएँ इतनी बढ़ गई हैं, जिन्हें संतुष्ट करने के लिए एक क्या अनेक तंत्र असफल हो जाएँगे।
हमारा देश विशाल आबादीवाला देश है। इसे चलानेवाला तंत्र भी उतना ही विशाल और समर्थ चाहिए और जैसा कि
नाम से स्पष्ट है, लोकतंत्र में हम ही तंत्र हैं। जब हर नागरिक इतना शिक्षित हो जाए कि अपने देश, समाज, परिवार,
घर, व्यक्ति सबके प्रति निष्ठा से अपना दायित्व निभाता रहे, तब लोकतंत्र की सफलता सामने आएगी। ज़रूरी है कि
हमारी सोच सकारात्मक हो। हम सोचें कि इतनी उदारता, इतनी ग्रहणशीलता और किसी तंत्र में नहीं है जितनी लोकतंत्र
में है, मानवता का इतना संतुलित सर्वांगीण विकास किसी और तंत्र में हो भी नहीं सकता।
Explanation:
mene in answers ko fontwise differentiate kar diya hai aap usme se answer likh lijiyega aur title
लोकतंत्र की विशेषताऐ.
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