नेपाल की जल प्रवाह का वर्णन कीजिए?
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उत्तरी सीमा में संसार की सर्वोच्च चोटी माउंट एवरेस्ट (29,241') है। इसके अतिरिक्त कांचनजुंगा (28,140'), मकालू (27,790'), धौलागिरी (26,800') गोसाईथान (26,305'), मनसालू (26,698'), हिमा लचुली (25,801') एवं गौरीशंकर (23,440') चोटियाँ भी इसी क्षेत्र में हैं।
इन पर्वतों से जा नदियाँ निकलती हैं उन्हें चार समूहों में विभक्त किया गया है। प्रथम समूह में काली (शारदा), सरजू, कुरनाली, पूर्वी सरजू तथा राप्ती नदियाँ हैं। यह सब मिलकर घाघरा नदी बनाती हैं और गंगा में मिल जाती हैं। दूसरे समूह में सप्त गंडकी नदी आती है, जो धौलागिरि एवं गोसाईथान नामक चोटियों के मध्य से निकलकर त्रिवेणीघाट पर गंडक में परिवर्तित हो जाती है। नदियों के तीसरे समूह में बड़ी, गंडक, छोटी राप्ती, बागमती तथा कुमला नदियाँ हैं। इनसे नेपाल घाटी का जलनि:सारण होता है। चौथे समूह की नदियों को नेपाली में सप्तकोसी कहते हैं। ये गोसाईथांन और कंचनजुंगा चोटियों के मध्य से निकलकर सनकोसी नदी बनाती हैं, जो गंगा में मिल जाती हैं। हिमालय एवं महाभारत श्रेणी के मध्य की घाटी, काठमांडू घाटी कहलाती है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 230 वर्ग मील है। इस घाटी का जलवायु शीतोष्ण, मिट्टी उपजाऊ है, अत: यह कृषि में समृद्ध है। इसी घाटी में इस राष्ट्र की राजधानी काठमांडू समुद्रतल से 4,700फ़ की ऊँचाई पर स्थित है, इसके चारों ओर 9,000फ़ से लेकर 10,000फ़ फुट तक ऊँचे पर्वत हैं। नगर की जनसंख्या 1,22,510 (1961) थी। इसी घाटी में गिरिपाद पर भटगांव एवं पाटननगर है। नेपाल राज्य की घनी आबादी इस क्षेत्र में निवास करती हैं।