निर्भय, दृढ़, गंभीर भाव से गरज रहा सागर है।
लहरों पर लहरों का आना सुंदर, अति सुंदर है।
कहो यहाँ से बढ़कर सुख क्या पा सकता है प्राणी?
अनुभव करो हृदय से, हे अनुराग-भरी कल्याणी।।
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निर्भय, दृढ़, गंभीर भाव से गरज रहा सागर है। लहरों पर लहरों का आना सुंदर, अति सुंदर है। कहो यहाँ से बढ्कर सुख क्या पा सकता है प्राणी? अनुभव करो हृदय से, हे अनुराग- भरी कल्याणी।।
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