नारी का बदलता स्वरूप pe 80 se 100 shabd me nibandh likhiya
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नारी की स्थिति में परिवर्तन (Changes In Women Life)
स्त्री को मानव जीवन का आधार कहा जा सकता हैं. क्योंकि हर बड़े – से बड़े विद्वान, महापुरुष, वैज्ञानिक, आम व्यक्ति, राष्ट्रपिता या प्रधानमन्त्री सभी की उत्पत्ति स्त्री के गर्भ से हुई हैं. स्त्री ईश्वर के द्वारा बनाई गयी एक ऐसी अमूल्य रचना हैं. जिसके बारे में जितना कहा जाए उतना कम लगता हैं. लेकिन मनुष्य जीवन में स्त्री की दशा कभी स्थिर नहीं रही. प्राचीन समय से लेकर आज तक हर क्षण में शायद इनके जीवन में निरंतर बदलाव आता रहा हैं. आज आपके साथ हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि क्या पुराने समय से लेकर आज के आधुनिक दौर में स्त्री के जीवन में क्या कोई बदलाव आ पाया हैं या नहीं ? इस बारे में विस्तृत जानकारी चर्चा नीचे की गई हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT स्त्रियों का पयाल से सम्बन्ध ...
Aaj ki Naariyon ka Badalta Svroop
Aaj ki Naariyon ka Badalta Svroop
1. निर्भीकता और आत्मविश्वासी (Confidence And Boldly) – आज के युग की यदि चर्चा करें तो आज के समय में स्त्री की दशा में थोडा ही सही लेकिन बदल्लाव आया हैं. आज की स्त्री पुराने समय में जी रही स्त्री से काफी निडर और आत्मविश्वासी हैं, उसमें अपने प्रति किसी प्रकार के दुराचार के विरुद्ध आवाज उठाने की क्षमता हैं. प्राचीन समय की स्त्रियों के बारे में यह पूर्णत: नहीं कह सकते कि उनमें आत्मविश्वास और निर्भीक बनकर जीवन जीने की कमी थी. क्योंकि ऐसा कहना गलत होगा, इसका सर्वश्रेष्ठ उदहारण हैं भारत की वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई. लेकिन यदि सामान्य परिवार की महिलाओं की स्थिति के बारे में बात करें तो उस समय में बहुत कम महिलाऐं ऐसी होती थी, जो अपने विचारों को बिना डरे किसी के भी सामने सामने प्रस्तुत करती थी. इसकी वजह केवल नारी ही नहीं उस समय का समाज और उनके आस – पास का परिवेश था. जो हमेशा स्त्री की आवज को दबाने का प्रयास करते थे.