नारी समाज का आईना के उपर अनुच्छेद
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नारी किसी समाज का आईना होती है (अनुच्छेद)
नारी किसी समाज का आईना होती है। किसी समाज में नारी की जैसी स्थिति है वो उस पूरे समाज की स्थिति को दर्शाती है। यदि किसी समाज में नारी शिक्षित है, स्वतंत्र है, उसका सम्मान होता है, वो पुरुषों के समान अधिकार पाती है, तो ये सब बाते उस समाज की प्रगति का सूचक है। इससे सिद्ध होता है कि वह एक उन्नत समाज है। एक शिक्षित व आधुनिक समाज है। एक सभ्य समाज है।
लेकिन यदि किसी समाज में नारी शोषित है, दमित है, पिछ़ड़ी हुई है, अशिक्षित है तो इससे सिद्ध होता है कि वो समाज भी पिछड़ा हुआ है, वह समाज पुरानी रुढियों और परंपराओं से जकड़ा हुआ है, इसलिए किसी समाज में नारी समाज का दर्पण होती है।
यदि नारी शिक्षित होगी तो उसके पूरे परिवार के शिक्षित होने की संभावना भी बढ़ेगी। इस तरह समाज का हर परिवार शिक्षित होगा। यदि नारी अशिक्षित होगी, उसका शोषण होता रहेगा, समाज में उसका अनादर होता रहेगा, वो पुरुष वर्ग द्वारा सताती जाती रहेगी तो वो पूरा समाज कभी उन्नति नहीं कर सकता।
इसके लिए नारी की स्थिति, उसकी उन्नति और उसके उत्थान में ही समाज की प्रगति का राज छुपा होता है, और भी समाज उन्नति करता है, वही समाज पूर्ण विकसित होता है, जहाँ नारी का अनादर नहीं होता। यत्र नार्यस्तु पूजयते, तत्र रमन्ते देवता। अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। इसलिये नारी ही किसी समाज का आईना होती है।