'नारी शृंगार 'कविता में कौन सा संदेश छिपा है
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हैं नारी तेरे रूप हजारों, बहन बहू मां होती तुम। दुष्टों का बन संहारक, दुर्गावतार भी लेती तुम। भोग का साधन मात्र न नारी, अपितु सृष्टि का कारण है। इस अमिट सृष्टि के हर दु:ख का, बस नारी एक निवारण है।
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