“नारी शक्ति!”
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उन परेशानियों के बारे में लिखो जो सिर्फ औरतों को ही झेलनी पड़ती है
( जैसे:- Proper Education, Leave in sociaty as a single mother ) तथा वह उन परेशानियों का कैसे सामना सकती हैं l
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आशा है कि आप इसका सबसे अच्छा उत्तर देंगे !
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7
Nari Sakti..................
Mai Anchal Gupta aaurto k un paresaniyo k bare m ullekh kar rahi hoon Jo sirf unhe jhelni parti h .......
1.proper education artath .......Sahi ya zaruri siksha .........Hamara Bharat ek krisi prdhan desh hone k sath sath purush prdhan desh v h..... jisme aaurto ki apeksha mardo ki jyada ehemiyat hoti h ......Aaj hm 21wi sadi m jeene k bawjud apni ankhe band kar yeh path padh rahe h ki aaurate paraya dhan h unke padhne likhne se kya hoga ........unhe to dusre ghar Jana h ......Ththa kai gharo m to kanya k janam ko shok k rup m manaya jata h.......Hme yeh nahi dikhta ki aaj k dour m ladkiya har chetro m ladko se aage nikal rahi h ...................Aaj k dour m Nari siksha samaj ka ek atyant ehem pehlu h ..........
Leave in a society as a single mother...yani samaj m ek akeli mata k rup m rehna......sb ise ek tarah se kalank k rup lete h khas kar tb jb vivah k pehle kisi stri ka santan ho Jana..........R khas kar tb jb kisi Nari ka pati agar use chor jaye bache hone k bawjud to hamara ye bedard samaj us purush ko kuch nahi kahega......Sab yahi kahenge jarur us aurat m hi kuch kami hogi.........Sb kehte h hamare desh ne bohot trraki kar li h mai isse sehmat v hoon .....pr ek sawal kya logo ki soch ne tarkki ki to mera jawab hoga nahi.............
Mai Anchal Gupta aaurto k un paresaniyo k bare m ullekh kar rahi hoon Jo sirf unhe jhelni parti h .......
1.proper education artath .......Sahi ya zaruri siksha .........Hamara Bharat ek krisi prdhan desh hone k sath sath purush prdhan desh v h..... jisme aaurto ki apeksha mardo ki jyada ehemiyat hoti h ......Aaj hm 21wi sadi m jeene k bawjud apni ankhe band kar yeh path padh rahe h ki aaurate paraya dhan h unke padhne likhne se kya hoga ........unhe to dusre ghar Jana h ......Ththa kai gharo m to kanya k janam ko shok k rup m manaya jata h.......Hme yeh nahi dikhta ki aaj k dour m ladkiya har chetro m ladko se aage nikal rahi h ...................Aaj k dour m Nari siksha samaj ka ek atyant ehem pehlu h ..........
Leave in a society as a single mother...yani samaj m ek akeli mata k rup m rehna......sb ise ek tarah se kalank k rup lete h khas kar tb jb vivah k pehle kisi stri ka santan ho Jana..........R khas kar tb jb kisi Nari ka pati agar use chor jaye bache hone k bawjud to hamara ye bedard samaj us purush ko kuch nahi kahega......Sab yahi kahenge jarur us aurat m hi kuch kami hogi.........Sb kehte h hamare desh ne bohot trraki kar li h mai isse sehmat v hoon .....pr ek sawal kya logo ki soch ne tarkki ki to mera jawab hoga nahi.............
sruti333:
Ooo
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17
नमस्ते
आपका उत्तर :-
एक औरत बनना किसी भी मर्द के बस की बात नही । में खुद एक पुरुष हो कर ये बोल रहा हूँ । बहोत लोग इससे आश्चर्य चकित हो जाएंगे मगर इसमें हैरानी वाली कोई बात नही ।
बचपन से बड़े होने तक न जाने क्या क्या झेलना पड़ता है ।
अच्छे पढ़े लिखे घर आये तो शिक्षा मिलेगी मगर नही आये तोह घरेलू काम काज ही करने पड़ेंगे जिंदगी भर या बचपन में ही मार दिए जाएंगी ।
बचपन में भाई को सब मिलता मगर उससे नही । स्कूल से आते वक्त गंदी नज़रो से बचना और शादी के बाद वहां की परेशानी संभालना ।
एक गाना है जो बहोत ही अच्छा लिखा गया है ।
और इस प्रश्न के लिए बहोत उचित है ।
सब कुछ है मनोरंजन कोई जल के मेरी कोई खुद ही जाली ।
जो कल तक थी परी वो अब चुप है खड़ी ।
पर खबर बदल गयी अगली घरी
फिर हुए मोर्चे काम छोड़ के
मोमबत्ती लेकर बन गए हीरो
दल गए स्टेटस दाल गयी सेल्फी
दो मीन मैं फिर थिंकिंग जीरो
छोटे कपड़े नही
छोटी तेरी सोच है
तू उनमें से है बीटा
तो तू इस दुनिया पे बोझ है
चल एक डील करे
तू मेरी बहन में तेरी बहन
तुझे मेरी बहन का दिखता तन
और खुद की बहन पे होती जलन
फिर क्यों नज़रो से
उसको नंगा करता है
औरत को छेड़ता
नियत को गंदा करता है
मिलता क्या है जब तुझको जाना है जेल में
और बहन बनी जिंदा लाश
तेरे छोटे से खेल में
अंदर से खुश हूं मेरी सगी बहन नही कोई भी
मुझको नही चिंता
की क्या वो चैन से सोएगी
में नही स्वार्थी
ये दर्द मुझको जाचा नही
हम जानवर या नपुंसक है क्यों कि मर्द साला बचा नही
औरत बोझ नही
बोझ बनाया हमने है
सती से लेकर बाल विवाह
दहेज बनाया हमने है
समाज बनाया हमने है
रिवाज बनाई हमने है
इन औरतो को दबी हुई आवाज बनाया हमने है ।
मेरे इस गाने या ये उत्तर देने से किसी की सोच नही बदले गई मगर गंदे सोच रखने वालों को एक मैसेज जरूर मिलेगा की अगर खुद पे विपत्ति आएगी तब कैसा लगेगा।
औरतो की इज़्ज़त करो तभी सही मर्द कहलाओगे
धन्यवाद
आपका उत्तर :-
एक औरत बनना किसी भी मर्द के बस की बात नही । में खुद एक पुरुष हो कर ये बोल रहा हूँ । बहोत लोग इससे आश्चर्य चकित हो जाएंगे मगर इसमें हैरानी वाली कोई बात नही ।
बचपन से बड़े होने तक न जाने क्या क्या झेलना पड़ता है ।
अच्छे पढ़े लिखे घर आये तो शिक्षा मिलेगी मगर नही आये तोह घरेलू काम काज ही करने पड़ेंगे जिंदगी भर या बचपन में ही मार दिए जाएंगी ।
बचपन में भाई को सब मिलता मगर उससे नही । स्कूल से आते वक्त गंदी नज़रो से बचना और शादी के बाद वहां की परेशानी संभालना ।
एक गाना है जो बहोत ही अच्छा लिखा गया है ।
और इस प्रश्न के लिए बहोत उचित है ।
सब कुछ है मनोरंजन कोई जल के मेरी कोई खुद ही जाली ।
जो कल तक थी परी वो अब चुप है खड़ी ।
पर खबर बदल गयी अगली घरी
फिर हुए मोर्चे काम छोड़ के
मोमबत्ती लेकर बन गए हीरो
दल गए स्टेटस दाल गयी सेल्फी
दो मीन मैं फिर थिंकिंग जीरो
छोटे कपड़े नही
छोटी तेरी सोच है
तू उनमें से है बीटा
तो तू इस दुनिया पे बोझ है
चल एक डील करे
तू मेरी बहन में तेरी बहन
तुझे मेरी बहन का दिखता तन
और खुद की बहन पे होती जलन
फिर क्यों नज़रो से
उसको नंगा करता है
औरत को छेड़ता
नियत को गंदा करता है
मिलता क्या है जब तुझको जाना है जेल में
और बहन बनी जिंदा लाश
तेरे छोटे से खेल में
अंदर से खुश हूं मेरी सगी बहन नही कोई भी
मुझको नही चिंता
की क्या वो चैन से सोएगी
में नही स्वार्थी
ये दर्द मुझको जाचा नही
हम जानवर या नपुंसक है क्यों कि मर्द साला बचा नही
औरत बोझ नही
बोझ बनाया हमने है
सती से लेकर बाल विवाह
दहेज बनाया हमने है
समाज बनाया हमने है
रिवाज बनाई हमने है
इन औरतो को दबी हुई आवाज बनाया हमने है ।
मेरे इस गाने या ये उत्तर देने से किसी की सोच नही बदले गई मगर गंदे सोच रखने वालों को एक मैसेज जरूर मिलेगा की अगर खुद पे विपत्ति आएगी तब कैसा लगेगा।
औरतो की इज़्ज़त करो तभी सही मर्द कहलाओगे
धन्यवाद
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