निरंतर चलने वालामनुष्य किस कारण श्रेष्ठ माना जाता है
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धार्मिक मान्यता अनुसार नरक वह स्थान है जहां पापियों की आत्मा दंड भोगने के लिए भेजी जाती है। दंड के बाद कर्मानुसार उनका दूसरी योनियों में जन्म होता है। कहते हैं कि स्वर्ग धरती के ऊपर है तो नरक धरती के नीचे यानी पाताल भूमि में हैं। इसे अधोलोक भी कहते हैं। अधोलोक यानी नीचे का लोक है। ऊर्ध्व लोक का अर्थ ऊपर का लोक अर्थात् स्वर्ग। मध्य लोक में हमारा ब्रह्मांड है। सामान्यत: 1.उर्ध्व गति, 2.स्थिर गति और 3.अधोगति होती है जोकि अगति और गति के अंतर्गत आती हैं।
कुछ लोग स्वर्ग या नरक की बातों को कल्पना मानते हैं तो कुछ लोग सत्य। जो सत्य मानते हैं उनके अनुसार मति से ही गति तय होती है कि आप अधोलोक में गिरेंगे या की ऊर्ध्व लोक में। हिन्दू धर्म शास्त्रों में उल्लेख है कि गति दो प्रकार की होती है 1.अगति और 2. गति। अगति के चार प्रकार है- 1.क्षिणोदर्क, 2.भूमोदर्क, 3. अगति और 4.दुर्गति।... और गति में जीव को चार में से किसी एक लोक में जाना पड़ता है। गति के अंतर्गत चार लोक दिए गए हैं: 1.ब्रह्मलोक, 2.देवलोक, 3.पितृलोक और 4.नर्कलोक। जीव अपने कर्मों के अनुसार उक्त लोकों में जाता है।