निर्देश:--निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
भारतीय संस्कृति में परोपकार को शुभ कार्य और परम
है। भारतीय ऋषि-मुनि जंगलों में तपस्वियों-सा जीवन
समय-समय पर यज्ञ किया करते थे। इसके मूल में परो
भावना निहित थी। नदी-तालाब अपना पानी स्वयं नहीं
अपना फल स्वयं नहीं खाते हैं। ऐसा करके वे परोपकार
है। इसके अलावा फूल अपने लिए नहीं खिलते और न
अपने लिए शहट बनाती है। ऐसा करके वे मनुष्य को
सीख देती है।
भारतीय समाज में ऐसी व्यवस्थाएं मिलती है, जो परोपन
लिए प्रेरित करती है। भूखे को भोजन देना, ग्रीष्मऋतु मे
पानी पिलाना, कुएं-बावड़ी बनवाना, सराय बनवाना, पे
परोपकार के कार्य आदि में भी परोपकार करके पु
चाहिए।
प्रश्न 1. गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
प्रश्न 2 ऋषि मुनि किस प्रकार परोपकार किया करते थे?
प्रश्न 3. नदी तालाब एवं वृक्ष के कार्यों से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
प्रश्न 4. महता किस प्रकार बताई गई है?
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Mehta ped par Baithi thi
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