नारियों के साथ होनेवाले अन्यायों के बारेमें आप अपना मत लिखिए
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महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों के बारे में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के वार्षिक सर्वेक्षण में भारत को सबसे पहला दर्जा दिया गया है। जिन मामलों पर विचार किया गया, उनमें यौन हिंसा की श्रेणी में भारत ने सबसे ‘बदहाल’ देशों में ‘पहला’ स्थान प्राप्त किया है। गैर-यौन हिंसा की श्रेणी में भारत 10 शीर्ष देशों में तीसरे स्थान पर रहा है। वैसे तो, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा राष्ट्रीय महिला आयोग और भारत के अनेक विशेषज्ञों ने इस सर्वेक्षण के नतीजों को अतिशयोक्तिपूर्ण और पक्षपातपूर्ण करार दे कर नकार दिया है, लेकिन इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा (जीबीवी) सचमुच देश की एक बड़ी समस्या है, जिसे तत्काल हल किए जाने की जरूरत है।
2015-16 में कराए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS 4) में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारत में 15-49 आयु वर्ग की 30 फीसदी महिलाओं को 15 साल की आयु से ही शारिरिक हिंसा का सामना करना पड़ा है। कुल मिलाकर NFHS 4 में कहा गया है कि उसी आयु वर्ग की 6 फीसदी महिलाओं को उनके जीवनकाल में कम से कम एक बार यौन हिंसा का सामना करना पड़ा है।
नारियों के साथ होनेवाले अन्यायों के बारे में आप अपना मत लिखिए :
नारियों के साथ होने वाले अन्याय एवं अत्याचार आज के समाज की एक कड़वी सच्चाई है। हालांकि आज नारियां जागरूक हो रही हैं, इसलिए वे अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं। वह शिक्षित हो रही हैं, इसलिए उन पर होने वाले अत्याचारों में कमी आई है। लेकिन नारियों पर होने वाले अन्याय-अत्याचार पूरी तरह बंद नहीं हुए है। हमारा समाज शुरू से ही पुरुष प्रधान समाज रहा है, जिसमें नारी को दोयम दर्जे का माना गया है।
हालांकि यह मानसिकता शुरु से नही थी। प्राचीन काल में नारी को अत्यंत उच्च स्थान प्राप्त था और नारी को देवी के समान पूजा जाता था। कालांतर में नारी के प्रति समाज में दोयम दर्जे की भावना पनपती गई और नारी को घर की चारदीवारी तक सीमित कर दिया गया। स्त्री को केवल घर के कामकाज तक सीमित कर उस पर अन्याय और अत्याचार तक ले जाने लगे।
इक्कीसवीं सदी के युग आते आते इन अन्याय अत्याचारों में कमी आई है, लेकिन पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं। आज की नारी शिक्षित और जागरूक हो गई है इसलिए शहरों में रहने वाले स्त्रियों पर होने वाले अत्याचारों में कमी आई है। ग्रामीण इलाकों में अभी भी यह कुरीति जारी है, अथवा अनपढ़ अशिक्षित व्यक्तियों में यह कुरीति अभी भी जारी है।
हमें समाज से इस मानसिकता को पूरी तरह समाप्त करना है।