निरखत अंक श्याम सुंदर के बार बार लाबति छाती गोकुल बसंत संग गिरिधर के कबहु बयारी लगीं नहीं ताती तब की कथा कहा ऊधौ जब हम बेनुनाद सुनि जाति हरि के लाड़ गन्नी नही कहु निसिदिन सुदिन रासरमाती प्राणनाथ तुम कब धौ मिलौंगे सूरदास प्रभु बाल सँघाती
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