नास्ति विद्यासमं चक्षुः, नास्ति सत्यसमं तपः।
नास्ति रागसमं दुःखं, नास्ति त्यागसमं सुखम्।।
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विद्या जेसी आंख नहीं, सत्य जैसी तपस्या नहीं।
क्रोध जैसा दुख नहीं, त्याग जैसा सुख नहीं।।
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विद्या जैसी आंख नहीं सत्य जैसी तपस्या नहीं क्रोध जैसा दुख नहीं त्याग जैसा सुख नहीं
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