न सं या -१ दए गए ग यांश को पढ़ कर , नो के उ र दे - - (14) व याथ जीवन को मानव जीवन क र ढ़ क ह डी कह , तो कोई अ तशयोि त नह ं होगी। व याथ काल म बालक म जो सं कार पड़ जाते ह , जीवन भर वह सं कार अ मट रहते ह । इसी लए यह काल आधार शला कहा गया है। य द यह नींव ढ़ बन जाती है तो जीवन सु ढ़ और सुखी बन जाता है। य द इस काल म बालक क ट सहन कर लेता है तो उसका वा य सुंदर बनता है। य द मन लगाकर अ ययन कर लेता है तो उसे ान मलता है, उसका मान सक वकास होता है। िजस वृ को ारंभ से सुंदर संचन और खाद मल जाती है, वह पुि पत एवं प ल वत होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी कार व याथ काल म जो बालक म, अनुशासन, समय एवं नयमन के साँचे म ढल जाता है, वह आदश व याथ बनकर स य नाग रक बन जाता है। स य नाग रक के लए िजन-िजन गुण क आव यकता है, उन गुण के लए व याथ काल ह तो सुंदर पाठशाला है। यहाँ पर अपने सा थय के बीच रहकर वे सभी गुण आ जाने आव यक ह , िजनक क व याथ को अपने जीवन म आव यकता होती है। नः 1-जीवन क आधार शला कस काल को कहा जाता है? 2-ग यांश का उपयु त शीष क ल खए। 3-मानव जीवन के लए व याथ जीवन क मह ा प ट क िजए। 4- छोटे वृ के पोषण का उ लेख कस संदभ म कया गया है और य ? 5- व याथ जीवन क तुलना पाठशाला से य क गई है? 6- वलोम श द लखे -सुख , वकास , स य , गुण
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