Hindi, asked by atharvatripathi911, 2 months ago

निसर्ग सौंदर्य निबंध ​

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Answered by Itzdivsparkles
4

Answer:

कुछ लोगों को सुबह चलना पसंद है तो कुछ लोगों को शाम को चलना पसंद है पर मुझे तो केवल खेलना पसंद है। मुझे घूमना पसंद नहीं है। पर एक दिन खाना खाने के बाद में ऐसे ही बाहर टहलने निकला। मेरे साथ मेरा दोस्त रमेश था। आसमान में बड़ा चंद्रा, प्रकाश से चमक रहा था। मैंने और रमेश ने थोड़ा बाहर चलकर घूम कर आने का निर्णय लिया।

उस समय वातावरण कुछ ऐसा था कि हमें चंद्रप्रकाश में बाहर घूमने का मन हुआ। आसमान में चंद्र अपना प्रकाश फैलाते हुए काफी तेजस्वी लग रहा था चंद्र के साथ पूरे आसमान में तारे टीम टीमा रहे थे।

चंद्र प्रकाश सभी जगह पर फैला हुआ था, प्रकाश इतना प्रभावी था कि रास्तों पर लाइट की कोई आवश्कता नहीं थी। हम चलते चलते शहर से गाव की तरफ आगाए यहां रास्तों पर लाइट ना होने की वजह से चंद्र अब और भी सुंदर लगने लगा था। हम आकर एक पुल पर रुक गए। पुल के नीचे से एक नदी बेह रही थी उसमे तरो का प्रतिबिंब दिखने से निसर्ग और भी निखार गया था वह देखने में बहोत आकर्षित दिख रहा था।

नदी का पानी इतना साफ था थी वह किसी आइने की तरह सब झलक रहा था, उसमे तरो का प्रतिबिंब देखकर ऐसा भास हो रहा था जैसे के नदी में सुंदर मोती टीम-टीमा रहे हो, कितना सुंदर लग रहा था यह दृश्य। पर नदी के किनारे वृक्ष रात के अंधेरे में एकदम भयानक लग रहे थे उन्हें देखकर कोई भी डर जाता।

में बारबार आकाश में चांद और तरो को देख रहा था और अजुबाजू के सुंदर निसर्ग का आनंद उठा रहा था। में इस निसर्ग के मोह में पड़ चुका था। मैने सूर्य के सौंदर्य के बारेमे बहोत बार पड़ा था , पर आज मैने खुद इस सुंदर रात के निसर्ग को अनुभव किया।

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Answered by RankStarz
36

कुछ लोगों को सुबह चलना पसंद है तो कुछ लोगों को शाम को चलना पसंद है पर मुझे तो केवल खेलना पसंद है। मुझे घूमना पसंद नहीं है। पर एक दिन खाना खाने के बाद में ऐसे ही बाहर टहलने निकला। मेरे साथ मेरा दोस्त रमेश था। आसमान में बड़ा चंद्रा, प्रकाश से चमक रहा था। मैंने और रमेश ने थोड़ा बाहर चलकर घूम कर आने का निर्णय लिया।

उस समय वातावरण कुछ ऐसा था कि हमें चंद्रप्रकाश में बाहर घूमने का मन हुआ। आसमान में चंद्र अपना प्रकाश फैलाते हुए काफी तेजस्वी लग रहा था चंद्र के साथ पूरे आसमान में तारे टीम टीमा रहे थे।

चंद्र प्रकाश सभी जगह पर फैला हुआ था, प्रकाश इतना प्रभावी था कि रास्तों पर लाइट की कोई आवश्कता नहीं थी। हम चलते चलते शहर से गाव की तरफ आगाए यहां रास्तों पर लाइट ना होने की वजह से चंद्र अब और भी सुंदर लगने लगा था। हम आकर एक पुल पर रुक गए। पुल के नीचे से एक नदी बेह रही थी उसमे तरो का प्रतिबिंब दिखने से निसर्ग और भी निखार गया था वह देखने में बहोत आकर्षित दिख रहा था।

नदी का पानी इतना साफ था थी वह किसी आइने की तरह सब झलक रहा था, उसमे तरो का प्रतिबिंब देखकर ऐसा भास हो रहा था जैसे के नदी में सुंदर मोती टीम-टीमा रहे हो, कितना सुंदर लग रहा था यह दृश्य। पर नदी के किनारे वृक्ष रात के अंधेरे में एकदम भयानक लग रहे थे उन्हें देखकर कोई भी डर जाता।

में बारबार आकाश में चांद और तरो को देख रहा था और अजुबाजू के सुंदर निसर्ग का आनंद उठा रहा था। में इस निसर्ग के मोह में पड़ चुका था। मैने सूर्य के सौंदर्य के बारेमे बहोत बार पड़ा था , पर आज मैने खुद इस सुंदर रात के निसर्ग को अनुभव किया।

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