नीति आयोग में क्षेत्रीय परिषद के गठन का प्रावधान क्यों किया गया है?
Answers
Answer:
नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) भारत सरकार द्वारा गठित एक नया संस्थान है जिसे योजना आयोग के स्थान पर बनाया गया है।[1] 1 जनवरी 2015 को इस नए संस्थान के सम्बन्ध में जानकारी देने वाला मंत्रिमंडल का प्रस्ताव जारी किया गया।[2] यह संस्थान सरकार के थिंक टैंक के रूप में सेवाएं प्रदान करेगा और उसे निर्देशात्मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करेगा। नीति आयोग, केन्द्र और राज्य स्तरों पर सरकार को नीति के प्रमुख कारकों के संबंध में प्रासंगिक महत्वपूर्ण एवं तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराएगा। इसमें आर्थिक मोर्चे पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयात, देश के भीतर, साथ ही साथ अन्य देशों की बेहतरीन पद्धतियों का प्रसार नए नीतिगत विचारों का समावेश और विशिष्ट विषयों पर आधारित समर्थन से संबंधित मामले शामिल होंगे। [3] नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अर्थात सीईओ अमिताभ कांत हैं | नीति आयोग के सदस्य निम्न हैः विवेक देवराय, वी.के सारस्वत, रमेश चंद्र और विनोद पाल। योजना आयोग और निति आयोग में मूलभूत अंतर है कि इससे केंद्र से राज्यों की तरफ चलने वाले एक पक्षीय नीतिगत क्रम को एक महत्वपूर्ण विकासवादी परिवर्तन के रूप में राज्यों की वास्तविक और सतत भागीदारी से बदल दिया जाएगा।[1]
Explanation:
Answer:
नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) भारत सरकार द्वारा गठित एक नया संस्थान है जिसे योजना आयोग के स्थान पर बनाया गया है।[1] 1 जनवरी 2015 को इस नए संस्थान के सम्बन्ध में जानकारी देने वाला मंत्रिमंडल का प्रस्ताव जारी किया गया।[2] यह संस्थान सरकार के थिंक टैंक के रूप में सेवाएं प्रदान करेगा और उसे निर्देशात्मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करेगा। नीति आयोग, केन्द्र और राज्य स्तरों पर सरकार को नीति के प्रमुख कारकों के संबंध में प्रासंगिक महत्वपूर्ण एवं तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराएगा। इसमें आर्थिक मोर्चे पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयात, देश के भीतर, साथ ही साथ अन्य देशों की बेहतरीन पद्धतियों का प्रसार नए नीतिगत विचारों का समावेश और विशिष्ट विषयों पर आधारित समर्थन से संबंधित मामले शामिल होंगे। [3] नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अर्थात सीईओ अमिताभ कांत हैं | नीति आयोग के सदस्य निम्न हैः विवेक देवराय, वी.के सारस्वत, रमेश चंद्र और विनोद पाल। योजना आयोग और निति आयोग में मूलभूत अंतर है कि इससे केंद्र से राज्यों की तरफ चलने वाले एक पक्षीय नीतिगत क्रम को एक महत्वपूर्ण विकासवादी परिवर्तन के रूप में राज्यों की वास्तविक और सतत भागीदारी से बदल दिया जाएगा।[1]