नैतिक मूल्य पाठ्य पुस्तक तक सीमित है पक्ष
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नैतिक मूल्य पाठ्य पुस्तक तक ही सीमित है के पक्ष में हमारे विचार निम्नलिखित हैं |
Explanation:
नैतिक मूल्य पाठ्य पुस्तक तक ही सीमित है के पक्ष में हमारे विचार निम्नलिखित हैं:
- आज के युग में कोई भी मनुष्य किसी भी दूसरे व्यक्ति के कल्याण के बारे में नहीं सोचता है और केवल अपने लिए स्वार्थी बन कर रह गया है जिससे यह पता चलता है कि उन व्यक्तियों के नैतिक मूल्य केवल पाठ्यपुस्तक तक सीमित रह गए हैं।
- आज के युग में पढ़े-लिखे मनुष्य केवल अपने भलाई और अपने भविष्य के बारे में सोचते हैं और दूसरे किसी गरीब व्यक्ति यह जरूरतमंद व्यक्ति के हित से उन्हें कुछ नहीं लेना देना है जिसे देखकर यह लगता है कि पाठ नैतिक मूल्यों की बातें केवल पाठ्य पुस्तकों तक सीमित होकर ही रह गई है।
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