नैतिकता कैसे प्राप्त होती है
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नैतिकता का सम्बंध मानव जीवन की अभिव्यक्ति से हैं। मानव जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता, महत्त्व अनिवार्यता व अपरिहार्यता जरुरी हैं, ताकि वह अपने परिवार के साथ -साथ सामाजिक दायित्व को निभा सके। नैतिकता सामाजिक जीवन को सुगम एवं विस्तृत बनाती हैं । वैदिक मन्त्रों में नैतिकता को विशेष महत्व दिया जाता हैं ।
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Mark me as a brilliant
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Explanation:
नैतिक शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से लोग दूसरों में नैतिक मूल्यों का संचार करते हैं। यह कार्य घर, विद्यालय, मन्दिर, जेल, मंच या किसी सामाजिक स्थान (जैसे पंचायत भवन) में किया जा सकता है|
व्यक्तियों के समूह को हीं समाज कहते है। जैसे व्यक्ति होंगे वैसा ही समाज बनेगा। किसी देश का उत्थान या पतन इस बात पर निर्भर करता है कि इसके नागरिक किस स्तर के हैं और यह स्तर बहुत करके वहाँ की शिक्षा-पद्धति पर निर्भर रहता है। व्यक्ति के निर्माण और समाज के उत्थान में शिक्षा का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। प्राचीन काल की भारतीय गरिमा ऋषियों द्वारा संचालित गुरुकुल पद्धति के कारण ही ऊँची उठ सकी थी। पिछले दिनों भी जिन देशों ने अपना भला-बुरा निर्माण किया है, उसमें शिक्षा को ही प्रधान साधन बनाया है। जर्मनी इटली का नाजीवाद, रूस और चीन का साम्यवाद, जापान का उद्योगवाद युगोस्लाविया, स्विटजरलैंड, क्यूबा आदि ने अपना विशेष निर्माण इसी शताब्दी में किया है। यह सब वहाँ की शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने से ही संभव हुआ। व्यक्ति का बौद्धिक और चारित्रिक निर्माण बहुत सीमा तक उपलब्ध शिक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है।