नेट प्रॉफिट कसकड़े चाहे तो डिसकेमेकर सर डिस्ट्रीब्यूटर ऐसा
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फरवरी से अब तक सेंसेक्स 3000 पॉइंट से ज्यादा टूट चुका है। जब निवेश की वैल्यू घटती है, तब बुनियादी रूप से मजबूत शेयरों को होल्ड करना अच्छी स्ट्रैटेजी होती है। ऐसे में अगर बाजार में शॉर्ट टर्म वोलैटिलिटी आती है तो भी मार्केट के सेटल होने पर ऐसे शेयरों का भाव बढ़ता हुआ फेयर वैल्यू तक पहुंच जाता है। कंपनी का नेट प्रॉफिट मार्जिन उसके शेयर के मजबूत होने की निशानी होती है। यह मार्जिन नेट प्रॉफिट में सेल्स रेवेन्यू से भाग देने पर मिलता है। मिसाल के लिए, अगर किसी कंपनी का नेट प्रॉफिट मार्जिन 15% है तो इसका मतलब यह हुआ कि वह हर 100 रुपये की सेल्स पर 15 रुपये का नेट प्रॉफिट कमा रही है। मैन्युफैक्चरिंग, सेल्स और डिस्ट्रब्यूशन का खर्च, डेप्रिसिएशन, इंटरेस्ट कॉस्ट और टैक्स घटाने के बाद बचने वाली रकम नेट प्रॉफिट होती है।
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