नात्सी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी ? फ्रांसीसी क्रांति के बारे में जानने के लिए अध्याय 1 देखें । फ्रांसीसी क्रांति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका के बीच क्या फर्क था ? एक पैराग्राफ में बताएँ ।
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नात्सी समाज में औरतों की भूमिका :
नात्�ी समाज में औरतों की विशेष भूमिका थी। नात्सियों का मानना था कि स्त्रियां पूर्ण रूप से पुरुषों से भिन्न है। इसलिए लड़कों को मजबूत मन के लड़के बनाने की शिक्षा दी जाती थी, जब की लड़कियों को अच्छी माता के बनने के लिए प्रेरित किया जाता था। उन्हें बताया जाता था कि वे जातीय शुद्धता को बनाए रखें, यहूदियों से दूर रहें, अपने घर परिवार की देखभाल करें और अपने बच्चों को नात्सी मूल्य सिखाएं। उन्हीं को ही आर्य संस्कृति तथा जाति को आगे ले जाना है। स्त्रियों की इस भूमिका को ध्यान में रखते हुए उन स्त्रियों को हर प्रकार के सुविधाएं दी जाती थी और पुरस्कृत किया जाता था जो शुद्ध आर्यन रक्त वाले बच्चों को जन्म देती थी।
फ्रांसीसी औरतों से तुलना :
(क) नात्सी समाज में औरतों को पुरुषों के समान दर्जा नहीं दिया गया था। इसके विपरीत फ्रांसीसी समाज में स्त्री पुरुष को समाज समझा जाता था ।उसे पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त थे।
(ख) नात्सी समाज में औरतें स्वतंत्र नहीं थी। उनका काम केवल बच्चों को जन्म देना और घर परिवार की देखभाल करना ही था। दूसरी ओर फ्रांसीसी समाज में नारी स्वतंत्रता थी । नारी को स्वतंत्रता का प्रतीक माना गया। वह अपने अधिकारों के लिए लड़ सकती थी। यहां तक कि उन्होंने राजा को भी झुकने के लिए विवश कर दिया और उसे अपने साथ पैरिस ले आई। इतना होने पर भी तृतीय स्टेट (निम्न वर्ग) की स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी। उन्हें रोटी कमाने के लिए काम करने के साथ-साथ घर के सभी काम करने पड़ते थे।
आशा है कि उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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