नाथुला दर्रा इत्यस्य उद्घाटन कदा अभवत् ?
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नाथूला हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है।[1] यह १४ हजार २०० फीट की ऊंचाई पर है। भारत और चीन के बीच १९६२ में हुए युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था। इसे वापस जूलाई ५, २००६ को व्यापार के लिए खोल दिया गया है। बीसवीं सदी की शुरुआत में भारत और चीन के होनेवाले व्यापार का ८० प्रतिशत हिस्सा नाथू ला दर्रे के ज़रिए ही होता था। यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग की एक शाखा का भी हिस्सा रहा है।[2] 'ला' शब्द तिब्बती भाषा में 'दर्रे' का अर्थ रखता है।[3]
भारतीय तरफ़ से भारत-तिब्बत अंतरराष्ट्रीय सीमा तक जाती सीढ़ीयाँ
ऊँचाई
4,310 m (14,140 ft)
चक्रमण
पुराने रेशम मार्ग की एक शाखा
स्थिति
स्थिति
Flag of India.svg भारत (सिक्किम) – Flag of the People's Republic of China.svg चीनी जनवादी गणराज्य (तिब्बत स्वशासित प्रदेश)
शृंखला
हिमालय
निर्देशांक
27°23′11″N 88°49′52″E / 27.386448°N 88.831190°E
भारत की ओर से यह दर्रा सिक्किम की राजधानी गान्तोक शहर से तकरीबन 54 कि॰मी॰ (177,000 फीट) पूरब में स्थित है।[4] केवल भारतीय नागरिक ही यहाँ जा सकते हैं और इसके लिए भी उन्हें गान्तोक से पारपत्र (पास) बनवाना होता है।
नाथू ला दर्रा, चीन और भारत के बीच आपसी समझौतों द्वारा स्थापित तीन खुले व्यापार की चौकियों में से एक है, जबकि दो अन्य हैं - हिमाचल प्रदेश में शिपकी ला और उत्तराखण्ड स्थित लिपु लेख।[5] 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बंद कर दिए जाने के बाद, साल 2006 में कई द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के बाद नाथू ला को खोला गया। दर्रे कह खोला जाना हिन्दू और बौद्ध तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इस क्षेत्र में मौजूद कई तीर्थ स्थलों की दूरी कम कर देता है, साथ ही इसके खुलने से भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने के कारण इस इलाके की अर्थव्यवस्था को गति मिलने की आशा की गयी थी हालाँकि, व्यापार कुछ ख़ास वस्तुओं तक ही सीमित है और सप्ताह के दिन भी सीमित हैं जिन दिनों यह मार्ग व्यापार हेतु खोला जाता है।