Hindi, asked by itsvikash248, 5 months ago

न देवाय न विप्राय न बन्धुभ्यो न चात्मने।
कृपणस्य धनंयाति बह्नितस्करपार्थिवैः।
answer me as fast as you can and give me right answer​

Answers

Answered by nidhi8490
0

Answer:

what is this i don't understand

Answered by RdxMafalol
0

Answer:

कंजूस का धन न देवताओं को न ब्राह्मणों को न भाइयों को और न ही अपने आप पर ही हर्ज़ होता है। कंजूस का धन तो अग्नि में नष्ट हो जाता है या चोर द्वारा चुरा लिया जाता है अथवा राजा द्वारा हरण कर लिया जाता है।

Explanation:

Similar questions