ङ) उपभाषा अथवा बोली के लिए कौन-सा कथन उपयुक्त है?
(i) उपभाषा अथवा बोली एक सीमित और क्षेत्र-विशेष में बोली जाती है।
(ii) उपभाषा अथवा बोली का साहित्य बहुत व्यापक होता है।
(iii) उपभाषा अथवा बोली की अपनी अलग लिपि होती है।
(iv) उपभाषा अथवा बोली का राजकीय कार्य-व्यवहार में प्रयोग होता है।
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Answer:
1.उपभाषा : अगर किसी बोली में साहित्य रचना होने लगती है और क्षेत्र का विस्तार हो जाता है तो वह बोली न रहकर उपभाषा बन जाती है।
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हिन्दी की उपभाषाएँ एवं बोलियाँ
उपभाषा बोलियाँ मुख्य क्षेत्र
पश्चिमी हिन्दी कौरवी या खड़ी बोली बाँगरू या हरियाणवी ब्रजभाषा बुंदेली कन्नौजी
2.हिन्दी की अनेक बोलियाँ (उपभाषाएँ) हैं, भारत में कुल 18 बोलियाँ हैं, जिनमें अवधी, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली, बघेली, हड़ौती,भोजपुरी, हरयाणवी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया, कुमाउँनी, मगही आदि प्रमुख हैं। इनमें से कुछ में अत्यंत उच्च श्रेणी के साहित्य की रचना हुई है। ऐसी बोलियों में ब्रजभाषा और अवधी प्रमुख हैं। यह बोलियाँ हिन्दी की विविधता हैं और उसकी शक्ति भी। वे हिन्दी की जड़ों को गहरा बनाती हैं। हिन्दी की बोलियाँ और उन बोलियों की उपबोलियाँ हैं जो न केवल अपने में एक बड़ी परंपरा, इतिहास, सभ्यता को समेटे हुए हैं वरन स्वतंत्रता संग्राम, जनसंघर्ष, वर्तमान के बाजारवाद के खिलाफ भी उसका रचना संसार सचेत है।[1]
3.उपभाषा (अंग्रेज़ी: dialect, डायालॅक्ट) किसी भाषा के ऐसे विशेष रूप को बोलते हैं जिसे उस भाषा के बोलने वाले लोगों में एक भिन्न समुदाय प्रयोग करता हो। अक्सर 'उपभाषा' किसी भाषा के क्षेत्रीय प्रकारों को कहा जाता है, उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ी, अवधी, हरयाणवी, मारवाड़ी, ब्रजभाषा और खड़ीबोली हिन्दी की कुछ क्षेत्रीय उपभाषाएँ हैं।[1] लेकिन कभी-कभी किसी सामजिक वर्ग द्वारा प्रयोग होने वाली भाषा की क़िस्म को भी 'उपभाषा' कह दिया जाता है। कभी-कभी उपभाषा को बोली भी कहते हैं, हालाँकि यह शब्द मानक भाषाओं के लिए भी इस्तेमाल होता है
4.उपभाषा अथवा बोली-एक सीमित और क्षेत्र-विशेष में बोली जाने वाली भाषा, उपभाषा अथवा बोली कहलाती है। भाषा की तुलना में बोली की साहित्य परंपरा छोटी होती है। बोली अथवा उपभाषा में किसी भी प्रकार का राजकीय काम-काज नहीं होता। ... सभी राजकीय कार्य-व्यवहार में भाषा का प्रयोग होता है।