निवध-संगति का प्रभाव भूमिका संगति के प्रकार संगति के प्रभाव उदाहरण उपसंहार please tell me fast nibandh please
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कोई भी मनुष्य समाज में दो तरह की संगति पाता है, एक अच्छे लोगों की और दूसरी बुरे लोगों की। जहां अच्छे लोगों की संगति उसका उद्धार करती है तो वहीं बुरे और नीच लोगों के साथ रहकर व्यक्ति का विनाश हो जाता है। इसका उदाहरण एक प्रकार से समझा जा सकता है जैसे चंदन के वृक्ष के कटते ही उसकी सुंगध से वह जड़ सींचने वाले माली तक को सुगंधित कर देता है और उसकी खुशबू का प्रसार दूर दूर तक होता है।
इसके विपरित सांप उसे पालने वाले तक को अपनी दुष्टता के कारण काट ही लेता है। ठीक उसकी प्रकार से मनुष्य यदि अच्छी संगति में रहता है तो विकास और उन्नति के मार्ग पर स्वयं को स्थापित करता है और यदि वह कुसंगति के साथ रहता है, तो वह गलत व्यवहार और आदतों के लिए जाना जाता है।
हमारे समक्ष संगति के प्रभाव संबंधी कुछ एक ऐसे उदाहरण है, जो पहले तो साधारण हुआ करते थे। लेकिन श्रेष्ठ जन की संगति के प्रभाव से वह श्रेष्ठ कहलाए। जैसे महर्षि बाल्मीकि जोकि जीवन की शुरुआत में भीलों की संगति में रहने के कारण डाकू बन गए थे, परन्तु जीवन के अंतकाल में जब वह ऋषि मुनियों के दर्शनों और उपदेशों में रमने लगे। आगे चलकर वह इन्हीं उपदेशों के चलते महान कवि के रूप में विख्यात हुए।
इसके अलावा एक साधारण सा वानर हनुमान भगवान श्री राम की सत्संगति में आकर मूल्यवान हो गया और आज लोग उनकी पूजा करते हैं। ठीक उसी प्रकार से हमारे समाज में जन्मे कई महान लोग जैसे पंडित मदन मोहन मालवीय जी, सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री इत्यादि अनगिनत प्रेरक व्यक्तित्व मौजूद है, जिन्होंने अपने सत्संगाति से सम्पूर्ण विश्व को जगमग कर दिया।
इसके अतिरिक्त समाज में होने वाले प्रसिद्ध कवियों ने संगति के ऊपर कुछ ना कुछ लिखा है। उनके अनुसार, भगवान की कृपा होने पर अच्छी संगति प्राप्त होती है। संगति ही एक ऐसी जीवनी है जो मानव जीवन को चरमोत्कर्ष तक पहुंचाती है। इसलिए मानव को दुष्ट की संगति त्यागने को कहा जाता है।
ऐसे में हम कह सकते है कि मानव जीवन में उन्नति और कल्याण एकमात्र अच्छी संगति पर निर्भर करता है। जिससे ही मनुष्य के सच्चरित्र का निर्माण होता है और बिना चरित्र निर्माण के मानव कदाचित अपने जीवन में सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ सकता। इसलिए जो व्यक्ति अपने जीवन में विकास के लिए तत्पर है, उसके अच्छे लोगों की संगति को ग्रहण करना चाहिए। यही उसकी उन्नति का मूल आधार है।
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