Social Sciences, asked by lydia5966, 11 months ago

‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ का महत्व स्पष्ट कीजिए।

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Answered by bhatiamona
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Answer:

‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ का महत्व —

भारत का संविधान अनुच्छेद 131 और 132 के तहत भारत के सर्वोच्च न्यायालय को संघीय सरकार अथवा किसी भी राज्य सरकार द्वारा निर्मित कानूनों के पुनर्विलोकन का अधिकार देता है। यदि संघीय संसद सरकार या राज्य के विधान मंडल द्वारा संविधान का अतिक्रमण किया जाता है या किसी ऐसे कानून का निर्माण किया जाता है जो मौलिक अधिकारों के विरुद्ध हो संविधान की भावना के प्रतिकूल हो तो भारत का सर्वोच्च न्यायालय ऐसे विधि अर्थात कानून को अवैधानिक घोषित कर सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय की इस शक्ति को “न्यायिक पुनर्विलोकन” की शक्ति कहा जाता है। सर्वोच्च न्यायालय को मिली ‘न्यायिक पुनरावलोकन’ की शक्ति के कारण केंद्र सरकार अथवा कोई भी राज्य सरकार असंवैधानिक कानूनों का निर्माण नहीं कर सकती और न ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन कर सकती है।

Answered by Aʙʜɪɪ69
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Explanation:

न्यायिक पुनरावलोकन का उन देशों में काफी महत्व है जहाँ पर लिखित संविधान है, क्योंकि उन देशों मे सीमित सरकार की अवधारणा लागू होती है। न्यायिक पुनरावलोकन इस अर्थ मे माना जाता है कि इससे किसी विधायिका की शक्तियों की मान्यता कहाँ तक उचित है तथा सरकार के कार्यों की वैधता कहाँ तक है।

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