न्यायिक सक्रियता मौलिक अधिकारों की सुरक्षा से किस रूप में जुड़ी है? क्या इससे मौलिक अधिकारों के विषय-क्षेत्र को बढ़ाने में मदद मिली है?
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Answer:
मौलिक अधिकार :- प्रजातंत्र में प्रजा को कुछ मालिका अधिकारी दी जाती है जिससे वा स्वतंत्र रूप से सारे कार्य कर सकते हैं।
हम सब मौलिक अधिकार के अंतर्गत आते हैं अतः हम मौलिक अधिकार के अंतर्गत सारे कार्य कर सकते हैं । हम कहीं भी किसी राज्य में भी आ जा सकते हैं। वहां जाकर बस सकते हैं वहां घूम सकते हैं। हम किसी भी राज्य से अपना दवा दारू करवा सकते हैं। और किसी भी राज्य में अच्छी स्वास्थ्य सुविधा ले सकते हैं। हम हम किसी भी धर्म को मान सकते हैं। अथवा किसी भी मंदिर में पूजा करने जा सकते हैं। हम धर्म परिवर्तन भी कर सकते हैं। अथवा हम अपनी राजकीय नागरिकता भी बदल सकते हैं।
अगर हमारे मौलिक अधिकारों का हनन होता है। तो उसके लिए न्यायपालिका मैं हम याचिका कर सकते हैं या फिर हम वहां न्याय के लिए जा सकते हैं। न्यायपालिका हमारे मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करती है । न्यायिक सक्रियता ही मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए ज्यादा जिम्मेदार होती है । उसे न्याय करना होता है , कि कहीं किसी नागरिक की मौलिक अधिकार का हनन तो नहीं हो रहा। अगर हनन होता है तो उसे उस पर न्याय कर इंसाफ दिलाना होग।
अगर हनन होता है तो उसे उस पर न्याय कर इंसाफ दिलाना होग।इससे मौलिक अधिकारों के विषय क्षेत्र में सहयोग मिलती है।
Answer with Explanation:
न्यायिक सक्रियता मौलिक अधिकारों की सुरक्षा से महत्वपूर्ण रूप में जुड़ी है। यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन होता है तब न्यायालय सक्रियता दिखाकर उसके मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध उन्प्रेषण तथा अधिकार पृच्छा से मौलिक अधिकारों के विषय क्षेत्र को बढ़ाने में मदद मिली है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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