"नबोलने पर भी
मैं सुनता हूँ तुम्हारे बोल
तुम्हारी बोलती आँखों से
सो मुझे
प्यार से पुकारती
और मौन ही निहारती हैं।"
[क] कविता का मूल आशय क्या है?
[ख] कवि ने कविता में किसके महत्त्व पर प्रकाश डाला है ?
[ग]आंखों के बोलने से कवि का क्या आशय है
[घ] इस काव्य का उचित शीर्षक दीजिए
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न बोलने पर भी,
मैं सुनता हूँ तुम्हारे बोल
तुम्हारी बोलती-आँखों से
जो मुझे
प्यार से पुकारतीं-
और मौन ही
निहारती हैं।
(क) कविता का मूल आशय क्या है ?
✎... कवि का मूल आशय आँखों के माध्यम से की जाने वाली मौन अभिव्यक्ति को प्रकट करना है।
(ख) कवि ने कविता में किसके महत्त्व पर प्रकाश डाला है ?
✎... कविता में आँखों द्वारा व्यक्त किये जाने वाले भावों को प्रदर्शित करने पर प्रकाश डाला गया है।
(ग) आँखों के बोलने से कवि का क्या आशय है ?
✎... आँखों के बोलने से कवि का आशय है कि आँखों के भी एक भाषा होती है, जिसे बिना बोले केवल आँखों की हलचल से अभिव्यक्त किया जाता है।
(घ) इस काव्यांश का उचित शीर्षक लिखें।
✎... इस काव्यांश का उचित शीर्षक होगा...
— न बोलने पर भी बोलती आँखें।
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