Nadiyon se hone wale labh or hani par nibhandh
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सिंचाई परियोजनाओं और जल संकट को ध्यान में रखते हुए बड़ी नदी परियोजनाओं पर काम करने के स्थान पर यदि स्थानीय स्तर पर जल प्रबंधन को अधिक महत्त्व दिया जाये तो इससे वास्तव में अधिक लाभ हो सकता है क्योंकि बड़ी नहर परियोजनाओं के लिए जितनी बड़ी संख्या में पलायन और भूमि के जलमग्न होने की सम्भावना रहती है छोटी परियोजनाओं द्वारा उससे भी बचा जा सकता है. आज भी देश के उत्तरी भाग में लगभग हर शहर के साथ कभी वर्ष भर जीवित रहे वाली बरसाती नदियों की उपस्थिति भी है क्योंकि पुराने समय में जलसंकट से निपटने के लिए लोग नदियों के किनारे ही बसने को प्राथमिकता दिया करते थे आज यदि नदियों को जोड़ने से पहले सरकार केवल इन नदियों को फिर से पुनर्जीवित करने के बारे में सोचना शुरू करे और इससे स्थानीय लोगों के जुड़ाव और कर्तव्य को एक साथ ला सके तो देश भर में किसी समय सदानीरा रहने वाली पर अब नाले में बदल चुकी बहुत सारी नदियां पुनर्जीवित हो सकती हैं. यह काम ऐसा होगा जिसमें जनता का जुड़ाव भी होगा साथ ही नदियों के प्रति उसके कर्तव्य की पूर्ति भी हो सकेगी और आम लोगों से जुड़ने के बाद यह अपने आप ही नदियों को साफ़ रखने के कार्य से भी जुड़ ही जाना वाला है.
देश में जल संकट से निपटने के लिए बेशक सरकार के प्रयास सही है पर पर्यावरण विशेषज्ञों की बातों को पूरी तरह से अनदेखा किया जाना क्या सरकार के उस मन्त्र के साथ सटीक बैठता है जिसमें वह “सबका साथ सबका विकास” जैसी बातें करने से पीछे नहीं रहती है ? बेशक आज सरकार के समर्थकों में ऐसे बहुत सारे वैज्ञानिक भी हो सकते हैं जिनको इस परियोजना पर कोई आपत्ति न हो पर जब मामला पर्यावरण जैसे संवेदनशील मुद्दे से जुड़ा है तो क्या सरकार केवल किसी बड़ी परियोजना को शुरू करने के लिए अन्य लोगों की अनदेखी कर सकती है. देश, समाज और विकास के लिए पर्यावरण की अनदेखी क्या आने वाले दशकों में हमें भारी नहीं पड़ने वाली है क्योंकि एक बार जिस प्राकृतिक तंत्र को हम अपने स्वार्थ के हिसाब से बदल देंगें तो क्या वह हमारे चाहने पर फिर से उसी तरह का हो पायेगा और इस प्रयास में जैविक विविधता का जो भी नुकसान हमें होने वाला है उसको क्या हम दोबारा से प्राप्त कर सकेंगें ? मोदी सरकार ने जिस तरह से विकास के लिए पर्यावरण की अनदेखी करनी शुरू कर दी है वह देश के लिए बहुत घातक ही साबित होने वाली है क्योंकि अब विकास के आगे किसी भी अन्य प्राथमिकता के बारे में सोचना सरकार बंद कर चुकी है.
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निबंध
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◾नदियों से होने वाले लाभ और हानि ◾
भूमिका : नदियां हमारे देश में कई सारी है ।
मुख्य रूप से भारत देश में नदी को माता का
दर्जा दिया जाता है । इससे यह अनुमान
लगाया जा सकता है की नदियां हमारे लिए
कितनी महत्वपूर्ण है। नदियों हमारे लिए जहां
महत्वपूर्ण भी है वहीं दूसरी ओर हमारे लिए
खतरा भी है ।
नदियों से लाभ : नदियों के लाभ कई है।
मुख्य तौर पर नदियां जल का प्रमुख स्रोत है।
उनसे ही हमें जल की प्राप्ति होती है । नदियां
हमारे ' पारिस्थितिक तंत्र ' को संभालने में
कार्यरत है । नदियां के वजह से ही हमें बिजली
या यूं कहें ऊर्जा की भी प्राप्ति होती है । नदियां
के उपर लगे बांधों के कारण हमें बिजली
मिलता है । नदियां हमें कई भोजन के पदार्थ
भी प्रदान करती है। नदियां एक सरल और
सस्ता यातायात का साधन माना जाता है ।
नदियों से हानि :- नदियों द्वारा हानि भी
पहुंचती है । नदियां हमारे लिए एक खतरे का
केंद्र बिंदु भी है । नदियों मैं आए बाढ़ के कारण
पूरा शहर बर्बाद हो जाता है । हर जगह पानी
ही पानी भरा रहता है , यातायात के साधन
सब नाकाम हो जाते हैं , इंसान घरों से बाहर
निकल नहीं पाता है , तथा इसके साथ ही कई
चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है ।
चुकी अधिकतर शहर नदियों के किनारे बसा
हुआ है इससे हमेशा आपदाओं का भय बना
रहता है ।