नगरीय भूगोल के अर्थ एवं विषय क्षेत्र का विवरण दीजिए।
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सिद्धान्त का प्रतिपादन 1927 में अमेरिकी समाजशास्त्री बर्गेस ने किया था। उनका सिद्धान्त अमेरिका के नगरों, विशेष रूप से शिकागो, के अध्ययन पर निर्भर है। इस सिद्धान्त में बताया गया है कि किसी नगर का विस्तार केन्द्र से बाहर की ओर अरीय रूप में होता है, जिसमें संकेन्द्रीय वलयों की एक श्रेणी बन जाती है। उसकी संकेन्द्रीय पेटियों की श्रेणियां एक आदर्शवादी विचारधारा है। किसी भी नगर में उसकी यह योजना पूर्ण रूप से लागू नहीं होती। धरातलीय रूकावटें जैसे नदियां, झीलें, पाहाडिया , हिमनदी, खाइयां आदि नगर के क्षेत्रीय ढांचे को बिगाड़ देती है। यातायात मार्ग जैसे कि रेलमार्ग, मोटर मार्ग आदि भी इस ढांचे को छोटे’-छोटे भागों में बांट देते हैं। शिकागो नगर का विकास बहुत तेजी के साथ टेक्नालाँजी के विकास के कारण हुआ है। इस नगर के पांच संकेन्द्रीय वलय केन्द्र से बाहर की ओर जिस प्रकार से मिलते हैं उनके अनुसार नगरीय विकास को इन पांच संकेन्द्रीय वलयों द्वारा समझा जा सकता है।
आन्तरिक केन्द्रीय व्यापारिक क्षेत्र
उसने प्रथम या भीतरी क्षेत्र को सीबीडी (आन्तरिक केन्द्रीय व्यापारिक क्षेत्र) का नाम दिया है। यह वह स्थान है जहां गगनचुम्बी इमारतें मिलती हैं। यहां पर ही दुकानें, थियेटर, होटल, दफ्तर तथा अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान होते हैं। यह क्षेत्र वास्तविक रूप से खुदरा व्यापार क्षेत्र, हल्के विनिर्माण और व्यापारिक मनोरंजन की सुविधा वाला होता है। शिकागो में इस क्षेत्र को (सववच) कहा गया है। न्यूयार्क में इसे रिहाइशी एवं केन्द्राभिमुख क्षेत्र कहते हैं। पिट्सबर्ग में इसे गोल्डन टेम्पल का नाम दिया गया है। अमेरिकी नगरों में यह क्षेत्र विशेष रूप से बहुत थोड़ी सी जगह घेरे रहता है। यहां पर कम स्थान घेरने वाले उद्योग विकसित मिलते हैं। इसका अधिकांश भाग अरिहाइशी होता है।
संक्रमण पेटी
यह पेटी सीबीडी (आन्तरिक केन्द्रीय व्यापारिक क्षेत्र) को चारों ओर से घेरे रहती हैं। इसके अन्दर रिहाइशी क्षेत्र होते हैं, जिसमें जगह-जगह उद्योग व व्यापारिक संस्थान होते हैं जो आन्तरिक पेटी से आकर यहां बस जाते हैं। यह क्षेत्र औद्योगिक व व्यापारिक क्षेत्र के मध्य का क्षेत्र होता है, जिसका अतिक्रमण इन दोनों क्षेत्रों द्वारा ही किया जाता है। इसीलिए इसे संक्रमण क्षेत्र कहा गया है। इस क्षेत्र को उसके उपयोग व बदली हुई विशेषता के आधार पर आसानी से पहचाना जा सकता है। नगर में रहने वाले पुराने लोगों के मकान, पुरानी बनावट के मकान, कमरों का किराये पर सुलभ होना, कम आमदनी वाले लोग, गन्दे-गन्दे मकान व गलियां यहां पर देखने को मिलते हैं। अपराध, वेश्यावृति जैसे विशेषताएं भी देखने को मिलती हैं। अमरीका के अनेक नगरों में यह क्षेत्र नये आप्रवासियों द्वारा बसाया हुआ मिलता है।
श्रमिक लोगों के रिहाइशी मकानों का क्षेत्र
यह क्षेत्र संक्रमण पेटी को चारों ओर से घेरे होता है। यह देखने में संक्रमण पेटी से अच्छा लगता है। यहां पर उद्योगों में काम करने वाले श्रमिक रहते हैं। ये लोग संक्रमण पेटी में तो रहना पसन्द नहीं करते लेकिन नगर के भीतरी भाग के पास में ही रहना पसन्द करते हैं ताकि वे नगर में अपने काम करने के स्थान पर आसानी से पहुंच सकें। यहां पर मध्यम श्रेणी के लोगों के मकान कम देखने को मिलते हैं। शिकागो में यह क्षेत्र मकानों का क्षेत्र है जिसकी सीमा दो मंजिल वाले मकानों द्वारा निश्चित की गयी है। इसमें नीचे की मंजिल में मकान मालिक व ऊपर की मंजिल में किरायेदार रहता है। यहां ऐसा देखने में आता है कि बाप कारखानों में काम करते हैं जबकि उनके बेटे-बेटियां सीबीडी (आन्तरिक केन्द्रीय व्यापारिक क्षेत्र) में काम करने जाते हैं, नाचघर तथा सिनेमा देखते हैं तथा विवाह के पश्चात इस पेटी के बाहर फैली पेटी में रहना पसन्द करते हैं।
श्रेष्ठतर रिहाइशी मकानों का क्षेत्र मध्यम श्रेणी के लोगों का निवास क्षेत्र
यह पेटी श्रेमिक लोगों के रिहाइशी मकान पेटी के बाहर विस्तृत रूप से फैली रहती है, जहां पर व्यापारिक कार्यों में लगे लोग रहते हैं, जिनमें छोटे-छोटे व्यापारिक संस्थानों के मालिक, मैनेजर, आदि आते हैं। यहां होटल भी देखने को मिलते हैं। इमारतें कई कमरों वाली होती हैं। ज्यादातर मकानों में एक परिवार रहता है। मकानों के आगे काफी बड़ा खुला क्षेत्र होता है जिसका प्रयोग बाग-बगीचे के रूप में होता है।
नगर को अभिगमन करने वालों का क्षेत्र
यह नगर की बाहरी पेटी होती है जिसमें स्थित उपनगरीय क्षेत्रों तथा अनुषंगी नगरों के साथ अभिगमन होता रहता है। कुछ विद्वानों ने इस बाहरी पेटी की बस्तियों को शयनागार नगर का नाम भी दिया है क्योंकि ये नगर में काम करने वाले लोगों को रात में आश्रय प्रदान करती हैं और दिन में ये लोग नगर में काम करने जाते हैं। नगर
ग्रागर अधिवास - "नगरीय अधिवास और ग्रामीण अधिवास के संक्रमण छेत्र को ग्रागर अधिवास कहते है जिसमे नगरीय और ग्रामीण अधिवास दोनो के झलक दिखती है"
यह मानव भूगोल के अधिवास भूगोल की एक शाखा हैं जिसके अन्तर्गत शहरों एवं नगरों का अध्ययन, उनकी उत्पति, स्थिति, कार्यात्मक प्रतिरुप, विकास आदि को ध्यान में रखकर किया जाता है।
विषय क्षेत्र का विवरण:
- नगरीय भूगोल का विषय क्षेत्र नगर के विकास से पहले की और बाद की स्थिति का अध्यन करता है, इससे हम ज्ञात कर सकते हैं की क्या परिवर्तन हुआ और कैसे ।
- भौगोलिक परिस्थितियों में क्या परिवर्तन आए ही, क्या समस्याएं उत्पन्न हुई हैं या हो सकती हैं, इसके अलावा वहां किन तत्वों को अधिकता या कमी है, इसके अलावा वहां की मिट्टी का प्रकार , जलवायु, आंतरिक संरचना इत्यादि भी नगरीय भूगोल के अध्यन से ज्ञात की जा सकती है।
- मानव जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है और इनके आवास के लिए जंगलों को काटकर नगर बसाए जा रहे है, ऐसे में नगरीय भूगोल एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय बनता जा रहा है, बिना इसके अध्यन के आगे बढ़ना मुश्किल है।
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