Hindi, asked by kanishking71, 9 months ago

नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के
विचारों से संबंधित दो मित्रों में
संवाद


Please ans fast ​

Answers

Answered by bhatiamona
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Answer:

मित्र 1: रोहन चलो पार्क में बैठते है |

मित्र 2: चलो छाया में चलते है |

मित्र 1: इस बार में गांव गया था वहाँ सब अपना जीवन अलग तरह से जीते है |

मित्र 2: हाँ यार फर्क तो रहता ही है | नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के विचारों में अब बहुत फर्क है |

मित्र 1: हम अपने आप को देख लें नई पीढ़ी पुरानी बातों को मानते तक नहीं है |

मित्र 2: हाँ  सही कह रहे हो , लेकिन मुझे लगता कुछ बाते पुरानी पीढ़ी की अच्छी है जो हमें माननी चाहिए|  

मित्र 1: बहुत सी बाते है जो हमें माननी चाहिए , कुछ बाते अच्छी नहीं है वह छोड़ देनी चाहिए |

मित्र 2:  हाँ जैसे नुसख़े हो गए , कुछ अच्छे रिवाज़ आदि |

मित्र 1: पहले पीढ़ी वाले लोग कभी बीमार नहीं होते थे , लेकिन अब की पीढ़ी वाले लोग की उम्र कम है |

मित्र 2: पहले सब कुछ ताज़गी होती थी , सब ताज़ा पर शुद्ध खाने को मिलता था |

मित्र 1: सही कह रहे हो अब  तो कुछ नहीं मिलता |

मित्र 2: पहले रिश्तों में अपनापन होता था , सब मिल कर रहते थे |  

मित्र 1: नई पीढ़ी में किसी के पास समय नहीं है रिश्ते निभाने का , समय निकालने का |

मित्र 2: यही तो फर्क है नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के विचारों में |

Answered by shishir303
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नई पीढी और पुरानी पीढ़ी के विचारों से संबंधित दो मित्रों के बीच संवाद

(नई पीढी और पुरानी पीढ़ी के विचारों से संबंधित दो मित्रों अजीत और सुजीत के बीच संवाद हो रहा है)

अजीत — यार मैं तो अपने पिताजी से परेशान हो गया हूँ।

सुजीत — क्यों क्या हुआ?

अजीत — वो हर समय टोकते रहते हैं। ये न करो, वो न करो। सोशल मीडिया पर ज्यादा समय न बिताओ। किताबें ज्यादा पढ़ो। मोबाइल कम यूज करो। हमारे समय में ऐसा होता था, वैसा होता था। उनकी पुरानी सोच और विचार मुझे नही जमते।

सुजीत — अच्छा ये बात है। मैं भी इसी समस्या से गुजर चुका हूँ। पहले मुझे भी अपने पिताजी की हर बात बुरी लगती थी। एक दिन मेरे पिताजी ने मुझे पास बैठाकर समझाया।

अजीत — क्या समझाया?

सुजीत —  उन्होंने समझाया कि समय निरंतर बदलता रहता है। समय के साथ विचार भी बदलते रहते हैं। ये दो पीढ़ियों के बीच के टकराव की कहानी है।

अजीत — अच्छा! और क्या बोले तुम्हारे पिताजी।

सुजीत — वो बोले कि दो पीढ़ियों के बीच विचारों के टकराव की समस्या आज की नही है। ये हमेशा कायम रही है। उनके समय में उन्हें भी अपने पिताजी की टोकाटाकी खराब लगती थी।

अजीत — पर हम लोगों के बड़ेजन तो कुछ ज्यादा ही टोकते हैं।

सुजीत — ऐसा नही है। ये समस्या हर समय रही है। मेरे पिताजी ने समझाया कि हर पुरानी बात खराब नही होती और हर नयी बात भी खराब नही होती। लेकिन दो अलग-अलग पीढ़ियों के लोग ये समझ नही पाते। पुरानी पीढ़ी ये समझती है कि उनके समय से जो चला है वो ही सही है, वो समय में परिवर्तन को स्वीकार नही कर पाते। नई पीढ़ी ये सोचती है कि जो नया है, वो श्रेष्ठ है, पुरानी बाते सब बेकार है।

अजीत — हाँ ये बात तो है।

सुजीत — दरअसल हमें हर पुरानी सोच-विचार को एकदम से नकारना नही चाहिये। कुछ न कुछ तो अच्छी बात हमारी पुरानी पीढ़ी की बातों में होती है, हमे उसका सम्मान करना चाहिये। साथ ही हमारी पुरानी पीढ़ी को भी नवीन परिवर्तन को स्वीकार करना चाहिये और ये मानना चाहिये कि नया है तो कुछ अच्छा भी होगा।

अजीत — बात तो तुमने ठीक कही है। मैं अपने पिताजी से इस विषय पर बात करूंगा और उन्हें समझाऊँगा।

सुजीत — बिल्कुल। तुम ऐसा ही करना। मेरे पिताजी ने ये बातें समझायीं तो मुझे भी समझ आ गयीं और अब हमारे बीच बेहतरीन सामंजस्य है।

अजीत — आशा है कि मेरे पिताजी भी समझेंगे।

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