नम्नलिखित पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोए थे, सपने जाने कहाँ मिटे, कब धूल हो गए। सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे, मैं हताश हो बाट जोहता रहा दिनों तक रुपयों की कलदार मधुर फसलें खनकेंगी, बाल-कल्पना के अपलक पाँवड़े बिछाकर! और, फूल-फूलकर, मैं मोटा सेठ बनूँगा! मैं अबोध था, मैंने गलत बीज बोए थे, पर बंजर धरती में एक न अंकुर फूटा, ममता को रोपा था, तृष्णा को सींचा था! बंध्या मिट्टी ने न एक भी पैसा उगला! प्रश्न- 1. कवि ने किस अवस्था में छिपकर पैसे बोए थे? 2. पैसे बोते समय कवि ने क्या सोचा था? 3. कवि बहुत दिनों तक क्या बाट जोहता रहा? 4. अंत में कवि ने क्या अनुभव किया? 5. इस अवतरण का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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, कब धूल हो गए। सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे, मैं हताश हो बाट जोहता रहा दिनों तक रुपयों की कलदार मधुर फसलें खनकेंगी, बाल-कल्पना के अपलक पाँवड़े बिछाकर! और, फूल-फूलकर, मैं मोटा सेठ बनूँगा! मैं अबोध था, मैंने गलत बीज बोए थे, पर बंजर धरती में एक न अंकुर फूटा, ममता को रोपा था, तृष्णा को सींचा था! बंध्या मिट्टी ने न एक भी पैसा उगला!
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उगेंगे" answered I thing
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