'नम्रता साधारण व्यक्ति को भी फरिश्ता बना देती है।' कबीर के दोहों के अनुसार इस विषय पर 1t0 -200 शब्दो का एक अनुच्छेद लिखिए।
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विनम्रता किसी भी इंसान को फरिश्ता बना देती है। यह बिल्कुल सत्य कथन है। विनम्रता एक ऐसा गुण है जो मानव के अंदर एक दिव्य आभा पैदा करता है। उसके स्वभाव को कोमल बनाता है। उसका आचरण शुद्ध करता है उसके अंदर प्रेम पैदा करता है या यूं कहें जो जिसके अंदर प्रेम है वो व्यक्ति विनम्र जरूर होगा और उस व्यक्ति के अंदर यह सब गुण हैं तो वह निश्चय ही फरिश्तों के समान है।
विनम्र व्यक्ति सदैव दूसरों का भला चाहता है। वह किसी का अहित नहीं करना चाहता और सबकी की मदद के लिए तत्पर रहता है। यह सब सद्गुण हैं।
कबीर के दोहों पर गौर करें तो कबीर ने अपने दोहों के माध्यम से विनम्रता के महत्व को बड़ी कुशलता से समझाया है।
ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय।।
अर्थात कबीर कहते हैं कि हमें सदैव ऐसी वाणी बोलनी चाहिए, जिससे हमारा मन तो प्रसन्न हो ही साथ ही दूसरे भी उस मीठी वाणी को सुनकर प्रसन्न हो जाएं और सदैव हमसे बात करने के लिए तत्पर रहें।
कबीर दास जी विनम्रता को जीवन में अपनाने की सीख देते हुए कहते हैं कि
ऊंचा पानी न टिकै, नीचै ही ठहराय।
नीचा होय सा भरि पियै, ऊंच पियासा जाए।
कबीर जी कहते हैं कि पानी कभी ऊंचाई पर नहीं टिकता। वह सदैव नीचे की ओर बहता है। उसी तरह जिस व्यक्ति को पानी पीना होता है तो उसे गर्दन झुकानी ही पड़ती है। जो अकड़ कर अपनी गर्दन ऊंची रखता है। वह पानी नहीं पी सकता है। यहां इस दोहे में कबीर ने विनम्रता से रहने की सीख दी है कि हमें जीवन में लाभ उठाना है तो जीवन तो सदैव विनम्रता से रहें। अकड़ में रहकर हम जीवन में कुछ नहीं पा सकते।