namak ka daroga kahani ko sankshep me likhen
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नमक का दारोगा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी जब नमक का नया विभाग बना और ईश्वरप्रदत्त वस्तु के व्यवहार करने का निषेध हो गया तो लोग चोरी-छिपे इसका व्यापार करने लगे. अनेक प्रकार के छल-प्रपंचों का सूत्रपात हुआ, कोई घूस से काम निकालता था, कोई चालाकी से. अधिकारियों के पौ-बारह थे.
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