Hindi, asked by priyanka9877, 1 year ago

Namak ka daroga ki mool samvedna

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Answered by shishir303
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‘नमक का दरोगा’ कहानी के लेखक ‘मुंशी प्रेमचंद’ हैं।

‘नमक का दरोगा’ कहानी की मूल संवेदना समाज और शासन-प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार की प्रवृति को उजागर करना और उस पर व्यंग्यामत्मक कटाक्ष करना है।

‘नमक का दरोगा’ कहानी समाज की यथार्थ स्थिति को उजागर करती है, और बताती है कि भ्रष्टाचार की जड़ें समाज में गहरे तक अपनी पैठ बना चुकी हैं और हर वर्ग के लोग उसमें आकंठ डूब चुके हैं, लेकिन कुछ ईमानदार लोग अभी भी समाज में हैं।

मुंशी वंशीधर के रूप में जहाँ ईमानदार दरोगा है जो अपने कर्तव्य के प्रति अडिग है तो अलोपदीन के रूप में भ्रष्टाचार का प्रतिनिधि है जो अपने धनबल से सब कुछ खरीद लेने की सामर्थ्य रखता है।

Answered by shailajavyas
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Answer:

                              कहानी की मूल संवेदना धर्म परायणता सत्यनिष्ठा तथा कर्तव्य निष्ठा की विजय तथा भ्रष्टाचार पर सदाचार की विजय को उजागर करना है  | मनुष्य कितना भी सामर्थ युक्त क्यों ना हो किंतु सत्य निष्ठा और ईमानदारी जैसे अपराजित नैतिक मूल्यों के समक्ष पराजित हो ही जाता है ।

                               वस्तुत:  यह वे मूल्य है जो मनुष्य को मनुष्य बनाते हैं । जीवन की सार्थकता इसमें नहीं है कि आप कितना धन कमाते हैं अपितु इसमें है कि आपका मानस तथा मूल्य कितने अडिग एवं अजेय है । इसी संवेदना को प्रस्तुत करती हुई कहानी "नमक का दारोगा "जहां पंडित अलोपीदिन की धन लोलुपता तथा सामर्थ्य को दम तोड़ते हुए दर्शाती है वहीं बंसीधर की अडिग ईमानदारी और सत्यनिष्ठा जैसे गुणों को स्थापित भी करती है |

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