नमक का दारोगा" कहानी के आधार पर सामाजिक यथार्थ के बारे में अपने
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नमक का दरोगा प्रेमचंद की बहुचर्चित आदर्श मुखी एवं यथार्थवादी कहानियां कहानी धन के ऊपर धर्म की जीत की कहानी दाना धर्म कर्म कर्म शास्त्र वादिया सद्बुद्धि बुराई और अच्छाई 78 सती दादी की क्या शर्ते कहानी में पंडित अलोपीदीन एवं उनसे वंदे मातरम प्रतिनिधिमंडल कर्मयोगी मुंशी अपने धनबाद सुने नौकरी से हटवा तो देते हैं परंतु अंतत सत्यता उन्हें न केवल झुकने पर तू सरकारी में कमी से बर्खास्त बंशीधर को प्रायश्चित स्वरूप ऊंचे वेतन भत्ते के साथ अपनी सारी जायदाद के इस टाइम मैनेजर नियुक्त करने के लिए बस कर देता है वह गहरे अपराध बोध से भरी वाणी में निवेदन करते हुए कहते हैं कि परम पद परमात्मा से यही प्रार्थना है कि वह सदैव आपको यही वाला दरोगा बना रखी मांदर व्यक्ति को अभिमन्यु के सामान्य अकेले पड़ते जाने की तस्वीर स्थान की सबसे बड़ी विशेषता है तो है परंतु यथार्थ सरिता भरोसा उठ जाए और बुराई का अंत होता है hope it help you
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