'नमक का दारोगा' कहानी का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
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कहानी की मूल संवेदना धर्म परायणता सत्यनिष्ठा तथा कर्तव्य निष्ठा की विजय तथा भ्रष्टाचार पर सदाचार की विजय को उजागर करना है | मनुष्य कितना भी सामर्थ युक्त क्यों ना हो किंतु सत्य निष्ठा और ईमानदारी जैसे अपराजित नैतिक मूल्यों के समक्ष पराजित हो ही जाता है ।
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नामक का दरोगा कहानी समाज की यथार्थ स्थिति को उदघाटित करती है मुंशी वंशीधर एक ईमानदार और कर्तव्यपरायण व्यक्ति है ,जो समाज में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिशाल कायम करता है |पंडित अलोपीदीन दातागंज के सबसे अधिक अमीर और इज्जतदार व्यक्ति थे
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