नमक के दारोगा में सरकारी कर्मचारी जरूरतमंदों के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों
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नमक का दारोगा’ प्रेमचंद की बहुचर्चित कहानी है जो आदर्शान्मुख यथार्थवाद का एक मुकम्मल उदाहरण है। यह कहानी धन के ऊपर धर्म की
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