ननम्नलिखित अपदित गद्याांश को पढ़कर एक-नतहाई शब्िों में साराांश लििकर उचचत शीषथक िीजिए : [05]
48. मनुष्र् सुख के पीछे लगा रहता है। सुख पाने की, खुश बनने की िह जीिनभरकोलशश करता रहता है। जीिन
में आिश्र्कताओं की पूनत य के बाद उसे सुख लमलताहै। उत्सि के हदनों में भी उसे सुख लमलता है। जीिन में
आिश्र्कताओं का तााँतालगा रहता है। एक की पूनत य के बाद दसू री सामने आती है। इसललए पूनत य के
बादअगधक समर् तक नहीं रहता। उत्सि में हम ककसी आिश्र्कता कालमलते हैं। खाते हैं। खखलाते हैं। अपनी
गचतं ाएाँ भूल जाते हैं। के िल अपने मनुष्र्पनदनु नर्ा बसाते हैं और उसी में खो जाते हैं। बबना कारण घूमते हैं।
व्र्थ य में खच य करतेहैं। कफर भी हम खुश रहते हैं ! र्े हदन हमें सांसाररक बंधन और गचतं ाओं से दरू
खुशीलमलनेिालासुखअनुभि नहीं करते। हम सारे कामकाज छोड़ बैठते हैं। खुलशर्ााँ मनाते हैं। मेहमानों सेको
ख्र्ाल में रखते हैं। स्िाथय को मन में नहीं लाते। दो हदनों के ललए एक अलगकी दुननर्ा में ले जाते हैं। उत्सि
का सुख टॉननक जैसा है।
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