ननम्नमिखखत गदयाींश को ध्यानपूवयक पढ़कर हदए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:--
ह दीं ी भाषा के कववयों में बाबू ररश्चींद्र का स्थान ब ुत ऊींचा समझा िाता ै। य ठीक ै कक उन् ें
तुिस , सुर,त्रब ारी या केशव ककस िोकवप्रयता न ीीं प्राप्त ुई मगर इसका कारण य न ीीं कक व
योग्यता में इन कववयों से घटकर थे। तुिस दास पदय-बदि आख्यानयका के सम्राट थे।।सुर अध्यात्म
और त्रब ारी ने सौंदयय और प्रेम को कमाि पर प ुींचाया। कब र ने सींसार की ननस्सारत का राग गाया।
ररश्चींद्र ने र रींग की कववता की।व काव्य प्रनतभा िो ककस एक रींग को ब ुत ऊींचाई तक प ुींचा
सकत थ त्रबखर गई।उनकी प्रनतभा ब ुमुख थ और उनको गदय और पदय दोनों पर समान अधिकार
था।गदय में तो उन् ें मागयदशयक का स्थान प्राप्त ै।उनके प िे रािा िक्ष्मण मसीं और रािा मशवप्रसाद
में ह दीं ी गदय में ख्यानत पाई थ मगर रािा िक्ष्मण मस ीं की योग्यता के अधिकतर अनुवाद ओीं में
खचय ुई और रािा मशवप्रसाद की ह दीं ी में उदयूशब्द बड सींख्या में र ते थे। उनकी सबसे अधिक
स्मरण य और स्थाई साह जत्यक पूींि उनके नाटक ै। बाबू ररश्चींद्र ने छोटे बडे 18 नाटक मिखखए
जिनमें कुछ मौमिक और कुछ अनुवाद ै।मौमिक ‘सत्य ररश्चींद्र’ और 'चींद्राविी’ ककताबें ैं िो सींसार
की ककस भ भाषा का गौरव ो सकत ै।
क. सूर तुिस त्रब ारी केशव आहद से भारतेंदुसाह त्य ककस प्रकार मभन्न ै? 2
ख. भारतेंदुको ह दीं ी नाट्य किा का प्रवतयक क्यों क ा िाता ै? 2
ग. भारतेंदुमें ह दीं ूकी सवायधिक मानन य साह त्य पूींि क्या ै? 2
घ. भारतेंदुने ककतने नाटक मिखे? ककन् ीीं दो के नाम मिखखए। 2
ङ. प्रस्तुत गदयाींश का उधचत श षयक दीजिए।
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sorry guy I not know the answer but please follow me
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hijdbbf
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iii) िाभीयो घय ऩहुॉचकय बीतय ही बीतय कुछ भहसूस कयने रगी।
क) सॊमुक्त िाक्म ख) मभश्र िाक्म ग) सयर िाक्म
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