नर की अरु नल नीर की , कति एकै करि जोइ।
जै तो नीचौ हवै चले, ते तो उँचौ होइ।।
का सरल अर्थ २५ से ३० शब्दों में लिखिए।
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Explanation: इस दोहे मे बिहारी जी यह कहना चाहते है कि नर यानि मनुष्य और नल नीर की गति नीचे होनी चाहिऐ। यहा नर यानि मनुष्य के लिए नीचे का अर्थ विनम्रता। बिहारी जी का कहना है की मनुष्य और नल के नीर / पानी जितना ही नीचे गिरता है पुनह् उतना ही अधिक ऊपर उठता है । उसी प्रकार मनुष्य जितना अधिक विनम्र होता है उतना ही विकास करता है । अर्थात जितना विनम्र होता है उतना ही अधिक यश प्रप्त करता है।
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I dont konw hahahahaha hauahahahahaahahah
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