नशा पाठ के आधार पर ईश्वरी के चरित्र की
बिशेषताएँ बताइए।
Answers
Answer:
ईश्वरी और उनका मित्र साथ-साथ पढ़ते हैं और बोर्डिंग में एक ही कमरे में रहते हैं किन्तु उनकी स्थिति में भिन्नता है। ईश्वरी एक जमींदार का पुत्र था। वह ऐश्वर्यप्रिय था और ठाठबाट से रहता था। वह नौकरों के प्रति कठोर था और काम में लापरवाही तथा देरी उसको बिल्कुल सहन नहीं थी। अमीरों में जो उद्दण्डता और बेदर्दी होती है, वह उसमें भी भरपूर मात्रा में थी। बिस्तर बिछाने में देर होने, साइकिल साफ न होने, दूध अधिक ठंडा या गुरम रहने पर वह नौकरों को डांटता-फटकारता था। वह जमींदारों का पक्ष लेता था परन्तु हारने पर भी कभी गरमें नहीं होता था। वह हमेशा मुस्कराती रहता था। अमीर होकर भी वह बहुत परिश्रमी और बुद्धिमान था
उसका व्यवहार दोस्तों तथा अन्य लोगों से नम्रतापूर्ण और सौहार्द का होता था। ईश्वरी का मित्र एक गरीब परिवार से था। उसके पिता एक क्लर्क थे। उनका वेतने बहुत कम था। होटल के खानसामों को मिलने वाला इनाम-इकराम उससे ज्यादा होता था। दशहरे की छुट्टियों में पैसे न होने के कारण वह घर नहीं गया था। वह जमींदारों का कटु आलोचक था। उनको खून चूसने वाली जौंक, हिंसक पशु इत्यादि कहता था। वह वाद-विवाद में प्रायः गरम हो जाता था। अमीरों की आलोचना उसकी अपनी स्थिति के कारण थी। वह उनकी आलोचना किसी सिद्धान्त के आधार पर नहीं करता था। उसके कथन और कार्य में भिन्नता थी।
जब वह ईश्वरी के गाँव पहुँचा तो स्वयं को कुँवर साहब ही मान बैठा। अपने इस बनावटी स्वरूप का नशा उस पर ऐसा चढ़ा कि वह मानवीयता औरा सामान्य शिष्टाचार के नियम भी भूल गया। बिस्तर बिछाने और लैम्प जलाने का मामूली काम भी उसने स्वयं नहीं किया। उसने ईश्वरी के नौकर तथा मुंशी रियासत अली को बुरी तरह डाँटा। वह एक गरीब क्लर्क का बेटा है, इस सच्चाई को लोगों को बताने का साहस भी उसमें नहीं हुआ। उसने रेल में एक गरीब सहयात्री के साथ अकारण दुर्व्यवहार किया। उस तरह उसका आचरण व्यवहार दोगलेपन से भरा है।