नदी किनारे दो घंटे इस विषय पर निबंध लिखिए
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Kabhi Kabar main is vyast Duniya Se a Dur Kahin Jana Chahta Hoon Sukoon Panna Chahta Hoon Sochta Hoon Ki ki Nadi Kinare baith kar Bansi bajao machli on ko Paani Mein tart a Dekhun Aakash mein pakshiyon ko unchai Tak udta Dekho aur Prakriti Ki God Mein Sama Jao just Tara Nadi Kinare do ghante Sukoon se beat joy
नदी किनारे दो घंटे |
Explanation:
कल शाम और मेरी सखी नदी किनारे गए। नदी किनारे हमने लगभग 2 घंटे बिताए। इन 2 घंटों का हमें जरा भी पता ना चला कि ये कब गुजर गए। नदी किनारे बहुत सुंदर दृश्य था। शाम के समय सूर्य अस्त होते हुए पक्षी आसमान में छह चाह रहे थे और ढलते सूरज की आड़ में ठंडी हवाओं का झोंका बह रहा था।
जैसे जैसे सूर्यास्त होने लगा वैसे वैसे पानी और शीतल होने लगा और हवाएं और ठंडी बहने लगी। नदी किनारे कुछ लोग नौका विहार में घूमने की तैयारी कर रहे थे तो कुछ लोग पूजा-पाठ व हवन आदि कर रहे थे। नदी किनारे कुछ बच्चे करतब दिखाते नजर आ रहे थे तो कुछ लोग अच्छे-अच्छे पकवान बनाकर गरीब लोगों में बांट रहे थे।
नदी किनारे हम सभी वर्ग के लोगों को देख सकते थे। नदी किनारे पूरा बाजार से लगा हुआ था जिसमें कई सारे प्रकार के खिलौने खाने की दुकानें और चूड़ियां आदि मिल रही थी। कुछ लोग खाने में व्यस्त थे तो कुछ लोग आपस में बात कर रहे थे।
इस शाम का नजारा मैं अपनी जिंदगी में कभी नहीं भूल सकती। यह शाम मेरे जीवन जीवन की बहुत ही बेहतरीन शाम थी।
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